शाबाश बिटिया : पहले समझाया, फिर सख़्ती दिखाई

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पहले समझाया, फिर सख़्ती दिखाई
शराब पर बैन, ज़िम्मेदारी का ऐलान और पूरे सिस्टम को आईना दिखाती एक महिला प्रधान
 डिजिटल डेस्क
 यमुना टाइम्स ( राकेश भारतीय ) उत्तराखंड के पहाड़ों से निकली एक सशक्त सोच आज पूरे देश के लिए मिसाल बन रही है। गांव की प्रधान बीरमा उर्फ़ बीरा  ने वह कर दिखाया, जो बड़े-बड़े नेता सिर्फ भाषणों में कहते हैं।
गांव में शादी-विवाह या किसी भी आयोजन में शराब परोसने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाते हुए प्रधान ने साफ़ ऐलान किया—
 नियम तोड़ा तो 20 से 25 हजार रुपये तक जुर्माना तय
यह फैसला किसी तानाशाही से नहीं, बल्कि समाज की पीड़ा, महिलाओं की तकलीफ और युवाओं के भविष्य की चिंता से लिया गया। प्रधान बीरा ने पहले गांव वालों को समझाया, बैठकें कीं, महिलाओं की आवाज़ सुनी… और जब बात नहीं बनी, तो कानून और पंचायत की ताकत से नशे के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।
शराब से उजड़ते घर
घरेलू हिंसा
बच्चों पर पड़ता बुरा असर
 युवाओं का भटकता भविष्य
इन सबके खिलाफ यह फैसला एक नई शुरुआत है। आज यह प्रधान सिर्फ एक गांव की प्रतिनिधि नहीं, बल्कि
 नशे के खिलाफ आंदोलन की पहचान
महिला नेतृत्व की ताकत
 सिस्टम को आईना दिखाने वाली सोच
बन चुकी हैं।
यह कहानी बताती है कि
अगर इरादा मजबूत हो, तो एक प्रधान भी पूरे सिस्टम को बदल सकता है।
यमुना टाइम्स सेल्यूट करता है ऐसी बेटियों को,
जो चुप नहीं रहतीं…
जो डरती नहीं…
और जो समाज को सही दिशा देने का साहस रखती हैं।
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