नोटों ने लगवा दिया आज के क्रांतिकारी की जुबान पर ताला

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फकीरा चलते-चलते

 

“नेता जी का दिल टूट गया… जनता ने लाइक नहीं मारे”**

कहते हैं राजनीति में दिल नहीं टूटते, डील टूटती है।

पर फकीरे ने कल ऐसा नज़ारा देखा कि दिल भी पिघल गया और हंसी भी नहीं रुकी।

यमुना नगर के एक नेता जी—नाम मैं नहीं लिखूंगा, आप खुद समझदार हो—सुबह से बहुत दुःखी दिख रहे थे। मैंने पूछा,

“नेता जी क्या हुआ? जनता ने वोट नहीं दिया क्या?”

बोले,

“नहीं फकीरा… इससे भी बड़ा दुख है… हमारी पोस्ट पर कल सिर्फ़ 42 लाइक आए हैं!”

मैंने कहा, “इतना छोटा दुख…?”

नेता जी बोले, “छोटा दुख? भाई साहब, 42 लाइक मतलब मेरे वजूद पर सवाल!”

अब मैं चुप।

क्योंकि आजकल नेता अपनी लोकप्रियता का हिसाब चुनाव आयोग से नहीं, फेसबुक इनसाइट से लगाते हैं।

 

फिर नेता जी ने अपना दर्द खोला—

“देखो फकीरा,

भीड़ इकट्ठी कर लो तो लोग कहते हैं ‘पैसे बांटे होंगे’,

काम कर लो तो कहते हैं ‘कमिशन खाया होगा’,

और सोशल मीडिया पर पोस्ट डालो तो विपक्ष वाले मिलकर लाइक न मारने की साजिश कर देते हैं!”

मैंने हंसते हुए कहा,

“नेता जी, ये राजनीति है, यहां लाइक भी विपक्ष और सत्ता देखकर आते हैं।

जनता को तो आपकी फोटो से ज्यादा मज़ा मीम में आता है!”

तभी अचानक एक कार्यकर्ता दौड़ता हुआ आया—

“साहब! गजब हो गया! सुबह वाली पोस्ट पर 113 लाइक हो गए हैं!”

नेता जी का चेहरा ऐसे खिल उठा जैसे विधानसभा का टिकट मिल गया हो।

मुझे देखकर बोले—

“फकीरा, राजनीति में आदमी नहीं… एंगेजमेंट रेट चलता है!”

मैंने कहा—

“नेता जी, आप चिंता छोड़ो…

जितने लाइक से आपका भविष्य तय नहीं होता,

लेकिन जितनी लाइक की भूख है, उससे राजनीति का भविष्य साफ़ दिख जाता है।”

नोटों ने लगवा दिया क्रांतिकारी की जुबान पर ताला !

 

जबरदस्त पड़ रही धुंध के कारण फकीरा चाय की दुकान पर गरमा गरम चाय पीने के लिए रुका । कुछ लोग कुर्सियों पर बैठे थे और चर्चा चल रही थी कि हमारे देश के असंख्य क्रांतिकारियों ने हंसते-हंसते फांसी के फंदो को चूम लिया लेकिन अपने मार्ग को नहीं त्यागा, दूसरी ओर हमारे जिले का एक क्रांतिकारी है जो केवल 20 लख रुपए के नोटों को देखकर करोड़ों रुपए की जमीन पर दबंगों द्वारा किए जा रहे अवैध कब्जे के मामले पर चुप्पी साथ गया। लोग चर्चा कर रहे थे कि हम तो इस युवा क्रांतिकारी मे भावी विधायक की छवि देखने लगे थे क्योंकि यह जिस प्रकार लोगों की समस्याओं को लेकर क्रांतिकारी विचारधारा के साथ क्रांति की बातें करते हुए उन्हें हल करवाता है लेकिन यह तो अपना असली चरित्र दिखा गया । फकीरा उनके पास चला गया और पूछा कि ऐसा कौन सा क्रांतिकारी है? तो बोले फकीरा शहर के बीचो-बीच करोड़ों रुपए की जमीन पर अवैध कब्जा दबंगों द्वारा किया गया और एक क्रांतिकारी वहा पहुंचा तो लोग शांत हो गए की चलो अब तो यह मामला जरूर उठेगा,ऊपर तक जाएगा और दबंगो को भी सबक सिखाया जाएगा लेकिन बाद में पता चला कि नोटों के बड़लों ने क्रांतिकारी की जुबान पर ताला लगा दिया है । फकीरा पूरे 20 लाख दबंगो से इस क्रांतिकारी द्वारा लिए जाने की चर्चा है…20 लाख…. इतना कहकर सभी उठे और अपनी-अपनी राह चल दिए ।

फकीरा पुछता रहा,सोचता रहा कि आखिर कौन है ऐसा क्रांतिकारी कहे जाने वाला शख्स… इतनी देर में फकीरा के विचारों को, ख्यालों को चाय वाले की आवाज ने तोड़ा फकीरा….आपकी गरमा गरम अदरक वाली चाय ….. फकीरा चाय लेते हुए भी अपना दिमाग दौडाता रहा कि आखिर कौन है वह….यदि क्रांतिकारी है तो फिर पैसें लेकर वह चुप कैसे बैठ गया? आखिर ऐसी क्या मजबूरी रही कि वह चुप्पी साथ गया…. क्रांतिकारी है तो फिर उसने पैसे कैसे लिए? क्या उसे बदनाम तो नहीं किया जा रहा और इन्हीं ख्यालों के साथ कुछ देर बाद ही एक ख्याल और आया कि करेंगे सो भरेंगे तू क्यों भयो उदास…. और इसी विचार के साथ ख्यालों से बाहर आते हुए फकीरा फिर से अपनी मस्ती के साथ अपनी राह चल पड़ा…. अगले रविवार आप सबको फिर से मिलेंगे नए किस्सों के साथ क्योंकि फकीरा के पास बहुत किस्से अभी बाकी है…. आप सबको राम राम, सलाम और सत श्री अकाल

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