अरबों का घोटाला :कैसे काम करता है राइस मिल माफिया ?

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“ कैसे काम करता है राइस मिल माफिया ? — अंदरूनी तंत्र का गहरा सच”

यमुना टाइम्स ब्यूरो

यमुनानगर (राकेश भारतीय) राइस मिल माफिया केवल यमुनानगर में ही नहीं बल्कि हरियाणा के विभिन्न जिलों में सक्रिय है तथा पिछले वर्षों की भी बात करें तो यह अब तक अरवो खरबो रुपए का घोटाला कर चुका है! माफिया से जुड़े लोग भोले भाले किसानों के फर्जी नाम डालकर अपनी तिजोरिया भर रहे हैं! यमुनानगर ही नहीं बल्कि प्रदेश भर में यदि

 


गहनता से जांच की जाए तो इतना बड़ा  खाद्यान्न घोटाला सामने आएगा जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी!

दरअसल यह माफिया धान की फर्जी सरकारी खरीद दिखा कर किसारों के हिस्से के एमएसपी पर डाका डाल रहा है। यमुनानगर और करनाल में एक दो नहीं पूरे 200 करोड़ का घोटाला सामने भी आ चुका है।

राइस मिल माफिया कोई साधारण गैंग नहीं होता।
यह एक पूरा नेटवर्क होता है जिसमें—
दो-दो रजिस्टर — एक असली, एक नकली

असली रजिस्टर में गलत एंट्रियां होती हैं,नकली रजिस्टर टीम दिखाने के लिए रखा जाता है! जांचकर्ता सिर्फ वही देखते हैं जो उन्हें दिखाया जाता है

ब्लैक में माल बेचना

कम वज़न से बचा धान खुले बाजार में बेचा जाता है जहाँ दाम अधिक होते हैं। यही मिल मालिकों के ‘करोड़ों के मुनाफे’ का असली स्रोत है।

ट्रांसपोर्टरों की मिलीभगत

फर्जी इनवॉइस, ट्रक नंबर बदलना और ऐसा दिखाना कि माल आया ही नहीं—
यह सब इस नेटवर्क का हिस्सा है।

राजनीतिक और प्रशासकीय ढाल

नियमित निरीक्षण रोकने
और शिकायत दबाने की सुविधा…मिल मालिक तभी पा सकते हैं जब उनकी पहुंच ‘ऊपर’ तक हो।
यमुना टाइम्स पर सच बोलना जारी है आगे हम बताएंगे कि किस प्रकार माफिया द्वारा की जा रही कार्रवाई से विभागीय अधिकारी आँखे मुद्दे हैं जिसका सीधा असर जनता पर पड़ रहा है!

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