“धान घोटाला होता कैसे है? — सिस्टम की टूटी हुई कड़ियां” भाग 1
यमुना टाइम्स ब्यूरो
यमुनानगर (राकेश भारतीय ) यमुनानगर में उजागर हुए 40 करोड़ के घोटाले की खबर कुछ लोगों के लिए भले ही नई हो लेकिन यमुनानगर ही नहीं पानीपत, करनाल, सोनीपत व प्रदेश के अन्य हिस्सों में इस प्रकार के घोटाले के समाचार सुर्खियां बनते रहे हैं! सरकारे किसी भी राजनीतिक दल की हो लेकिन भ्रष्ट अफसर दीमक की तरह प्रदेश के राजस्व के साथ-साथ स्थानीय लोगों के खून पसीने की कमाई को चाटते रहते हैं! भाजपा सरकार का शीर्ष नेतृत्व तो दावा करता रहा है कि ना खाएंगे न खाने देंगे हालांकि मनोहर सरकार के समय में भ्रष्ट अफसरो पर कार्रवाई में काफी तेजी आई थी लेकिन वर्तमान में लगता है इसकी रफ्तार धीमी हो चली है यही कारण है कि भ्रष्ट अफसर अपने कार्य को अंजाम देने से बाज नहीं आ रहे हैं! हैरानी वाली बात है कि जिस 40 करोड़ के धान घोटाले की बात की जा रही है उस पर एक दो नहीं कई कई विभागीय अधिकारी नजर रखते हैं इसके बावजूद स्थानीय स्तर पर किसी भी अधिकारी की नजर आखिर क्यों नहीं गई? कुछ भ्रष्ट अफसर का संरक्षण करने के बाद कौन-कौन लोग शामिल होकर इस घोटाले को देते हैं अंजाम? क्या घोटाला करने वालों को भी भ्रष्ट अवसरों का संरक्षण प्राप्त होता है?

धान घोटाले का तंत्र बेहद संगठित और समझदारी से रचा जाता है। यह कोई एक दिन का खेल नहीं, बल्कि महीनों और सालों से तैयार की गई मशीनरी है, जिसमें मिल मालिक, स्टाफ, ट्रांसपोर्टर और कभी-कभी अधिकारी तक शामिल होते हैं।
1️⃣ कम वज़न वाला खेल — ‘कुछ किलो’ से शुरू होकर करोड़ों तक पहुँचता है
सरकार 50 किलो का बैग देती है, लेकिन मिलों में इसे 2–3 किलो तक कम करना आम बात है।
अब ज़रा गणित समझें—
अगर 1 लाख बैग प्रोसेस हों और हर बैग 2 किलो कम हो जाए, तो:
2 लाख किलो धान = सीधा लाखों में खेल
और बड़े मिलों में यह मात्रा कई गुना अधिक होती है।
2️⃣ डबल लोडिंग – रजिस्टर का जादू
एक ही स्टॉक को दो बार चढ़ाना, फर्जी बिल बनाकर दिखाना, और रिकॉर्ड में एक ही ट्रक को दो बार दर्ज कर देना—यह घोटाले की सबसे आम ट्रिक है।
3️⃣ शॉर्टेज प्रतिशत का घोटाला
सरकार धान सुखाने और प्रोसेसिंग में एक निश्चित प्रतिशत तक नुकसान की अनुमति देती है।
लेकिन मिल मालिक इसे 3% के बजाय 7–8% दिखा देते हैं।
यही अतिरिक्त ‘फर्जी नुकसान’ लाखों की कमाई बन जाता है।
4️⃣ स्थानीय अधिकारी क्यों चुप रहते हैं?
मासिक “सेटिंग”,
निरीक्षण रिपोर्ट में फेरबदल और जानबूझकर न की गई चेकिंग घोटाले को पनपने देने में सबसे बड़ी भूमिका भ्रष्ट अधिकारियों की होती है।












