“कौन से विभाग जिम्मेदार और घोटाले कहां पकड़े जाते हैं?”
यमुना टाइम्स ब्यूरो
यमुनानगर (राकेश भारतीय ) यमुनानगर, कुरुक्षेत्र, करनाल पानीपत, सोनीपत आदि प्रदेश भर मे धान घोटाले का खेल चल रहा है! किसी प्रकार की गड़बड़ी या घोटाला न हो इसके लिए सरकार लंबा चौड़ा,मोटा तगड़ा वेतन कई विभागों के कर्मियों को देती हैं लेकिन चंद भ्रष्ट अधिकारी न समाज की सोचते हैं,न प्रदेश की, न देश की! उनकी खाल इतनी मोटी है कि घोटाले पर घोटाले होते रहते हैं और यह आंखें मूंदकर पड़े रहते हैं! बड़े बुजुर्ग इसीलिए कहा करते थे कि देश प्रदेश में विपक्ष मजबूत होना चाहिए ताकि ऐसी खामियों पर वह आवाज उठा सकें लेकिन यहां तो विपक्ष मानो तू मेरी पीठ खुजाओ मैं तेरी स्थिति में पहुंच गया है और किसी भी मुद्दे को गंभीरता से नहीं लेता! कई बार साल में एक आध बार विपक्ष अपनी पार्टी के मुद्दे पर भले ही दिखावे बाजी के लिए मांग पत्र आदि देने के लिए आगे आया हो लेकिन जनहित के मुद्दों पर विपक्षी दलों के नेता भी हाथ पर हाथ धरे बैठे रहते हैं! विपक्षी दलों के नेताओं की चुप्पी मानो यह दर्शाती है कि सत्ता पक्ष के साथ विपक्षी दलों के नेताओं की सहमति बन गई है कि कभी हम कभी तुम! विपक्षी दलों के कुछ नेता यदि आवाज उठाते हैं तो उन्हें संगठन का साथ नहीं मिलता उन्हें संगठन से ही दरकिनार कर दिया जाता है या संगठन द्वारा ऐसे लोगों को आगे किया जाता है जो जनता में ना तीन में होते हैं ना तेरह मे…. बहरहाल यमुनानगर में हुए 40 करोड़ के घोटाले को लेकर हमने जो सीरीज शुरू की है उसके दूसरे भाग में हम आपको बताएंगे कि आखिर ऐसे घोटाले को रोकने के लिए कौन-कौन से विभाग
जिम्मेदार हैं ताकि आपको भी पता चले कि इतने विभागो को सरकार द्वारा नजर रखने के लिए जिम्मेदारी दी गई है लेकिन इसके बावजूद क्या आलम है! हम आपके यहां यह भी बता दे कि यह मामले एक या दो नहीं है यदि गहनता से सबकी जांच की जाए तो घोटाला और अरबों खरबो का हो सकता है!सरकारी धान को मिलों तक पहुँचाने और उसकी प्रोसेसिंग का पूरा तंत्र प्रशासनिक तौर पर बेहद बड़ा है।लेकिन जहां तंत्र बड़ा होता है, भ्रष्टाचार की गुंजाइश भी बढ़ जाती है।
फूड एंड सप्लाई विभाग
एलॉटमेंट
स्टॉक वेरिफिकेशन
मिलों का निरीक्षण
शॉर्टेज रिपोर्ट की पुष्टि
अगर इस विभाग ने सही काम किया होता, तो यह घोटाला इतने साल तक दबा न रहता।
2 वेट एंड मिज़रमेंट विभाग
वज़न मशीनें सील करना
बैग के वज़न की जांच
फर्जी वज़न उपकरणों पर कार्रवाई
अक्सर अधिकारी हर छह महीने की जांच सिर्फ कागजों में कर देते हैं।
3 DC / SDM / तहसील स्तर का प्रशासन
लाइसेंस जारी करना
मिलों का रजिस्ट्रेशन
शिकायतों को संज्ञान में लेना
कई बार शिकायतें वर्षों तक ‘फाइलों में घूमती रहती हैं’ और कार्रवाई नहीं होती।
4 पुलिस विभाग
जब तक FIR दर्ज न हो, घोटालेबाजों को किसी तरह का नुकसान नहीं होता।इस केस में FIR तभी दर्ज हुई जब चंडीगढ़ से डायरेक्टर खुद आए। हालांकि यहां पुलिस के लिए सबसे बड़ा सकारात्मक पहलू है कि जब तक उसे विभागीय अधिकारी या अन्य कोई शिकायत नहीं देता तो वह भी क्या करें?
अगले भाग में पढ़ें कैसे काम करता है राइस मिल माफिया ? — अंदरूनी तंत्र का गहरा सच”
घोटाले बाजो का पर्दा फाश यमुना टाइम्स पर जारी है क्योंकि सच बोलना अभी बाकी है…..















