कानूनी ढाल या सियासी सौदा: जब फाइलों से नाम निकले, तो रिश्‍ते भी उजागर हो गए

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कानूनी ढाल या सियासी सौदा: जब फाइलों से नाम निकले, तो रिश्‍ते भी उजागर हो गए

ज़मीन का खेल – भाग 10”

रिपोर्टर — राकेश शर्मा भारतीय
(विशेष अन्वेषण रिपोर्ट, यमुना टाइम्स)

यमुनानगर: यमुनानगर में चल रहे जमीन के खेल को लेकर यमुना टाइम्स द्वारा चलाई जा रही सीरीज का सिलसिला जारी है, इस सीरीज में हमने आपको सिलसिले बार जिले में कुकुरमुतो की तरह पनप रहे अधिकांश प्रॉपर्टी डीलरों द्वारा नियमों को तोड़े जाने, कानून की धज्जियां उड़ाई जाने तथा एक माफिया का रूप धारण किए जाने बारे विस्तार से बताया है! ईमानदारी और कर्तव्य निष्ठा से अपने काम को अंजाम देने वाले प्रॉपर्टी डीलरों और रियल एस्टेट्स एजेंटो की संख्या  भी शहर में कम नहीं है लेकिन इन पर दो नंबरी प्रॉपर्टी डीलर और रियल एस्टेट एजेंट  हैवी है! ऐसे लोग अपनी राजनीतिक आकाओ के दम पर अफसरो के साथ खुलकर बैठने लगे हैं तथा भ्रष्ट अफसरो को संरक्षण तक देने लगे हैं!

 

🔹 1. रसूख और रियल एस्टेट का संगम

यमुनानगर जिले में अवैध कॉलोनियों और रियल एस्टेट के कारोबार ने अब कानून से बड़ा नेटवर्क खड़ा कर लिया है।
जांच से जुड़े सूत्रों का कहना है कि कुछ प्रभावशाली प्रॉपर्टी डीलरों के सीधे संबंध राजनीतिक दलों, पूर्व पार्षदों और प्रशासनिक अधिकारियों से हैं। यमुनानगर में सत्ता की मलाई चाटने वाले एक दो नहीं बल्कि तीन चार नेताओं ने तो यमुनानगर ही नहीं पूरे जिले में ऐसा कोई स्थान नहीं छोड़ा जहां खुद प्रॉपर्टी डीलर की तरह काम न किया हो, कहने को तो यह लोग जनसेवक थे लेकिन काम प्रॉपर्टी डीलर की तरह करते रहे जिसका गुस्सा जनता ने उनके नाम के आगे पूर्व लगाकर निकाला! पार्टी आलकमान ने भी जनता के गुस्से को देखते हुए एक नहीं दो दो महानुभाववो की छोटी सरकार अर्थात  नगर की सरकार के गठन के समय टिकट तक काट दी अब सत्ता की मलाई चाटने वाले नेताओं के विरुद्ध यदि आम जनता आवाज़ उठाएं तो उसके लिए परेशानी ही परेशानी या जेल की सलाखें लेकिन विपक्षी नेता दूसरे शब्दों में कहें तो प्रभावशाली विपक्षी नेताओं के पुत्र भी इस काम में लिप्त हो गए तो आवाज उठाने का तो सवाल ही नहीं था, विपक्ष में बैठे एक राजनीतिक दल ही नहीं दो दो तीन तीन राजनीतिक दलों के नेता भी जमीन के इस खेल में खेलने लगे! एक दल के नेता जिन्होंने कोई दल नहीं छोड़ा तथा सबको अलविदा कहते हुए दूसरे दल में शामिल होते रहे और अब वर्तमान मे सत्ता दल में जा मिले हैं उनके पुत्र ने तो जमकर जमीन का खेला खेला! Ed, income tax या अन्य एजेंसी आज भी यदि गहराई से इन सफेद पोशॉ की जांच करें तो इतनी अकूत संपत्ति इनसे निकलेगी जिसकी शायद किसी ने कल्पना भी ना कि हो! इस खेल को हवा देने के लिए अलग-अलग क्षेत्रो के बुद्धिजीवी भी बहती गंगा में हाथ धोने लगे तो कार्रवाई कौन करता?

यही वजह है कि जिन पर कार्रवाई होनी चाहिए थी, वही लोग अब नीति तय करने वालों की बैठकों में नज़र आते हैं।

🔹 2. जब जांच रिपोर्ट ‘सहमति पत्र’ बन जाती है

नगर निगम की कई आंतरिक फाइलों में पाया गया कि
“जांच पूरी होने के बाद” भी कार्रवाई के आदेश नहीं दिए गए।
इसके बजाय फाइल पर एक लाइन लिखी गई —

> “पारस्परिक सहमति से मामला निपटाया गया।”
यानी, कानून की जगह समझौता, और न्याय की जगह नेटवर्किंग।
एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा —
“कई बार ऊपर से निर्देश आते हैं कि फाइल को रोक दो, माहौल बिगड़ जाएगा।”

 

🔹 3. सत्ता का साया – अफसरों की मजबूरी या मिलीभगत?

जिन इलाकों में “सीलिंग” की कार्रवाई हुई,
वहीं कुछ हफ्तों में वही भवन “टेक्निकल क्लियरेंस” के नाम पर फिर खुल गए।
जानकार बताते हैं कि

> “बिल्डर सीधे नेताओं के पास जाते हैं, फिर एक फोन नीचे तक सब कुछ रोक देता है।”
यानी कानून अब फोन कॉल की प्रतीक्षा में है।

 


🔹 4. सिस्टम में बैठा सौदा – नाम बदलते हैं, तरीका वही

कई रियल एस्टेट कंपनियां अपने नाम बदलकर दोबारा रजिस्टर करवा चुकी हैं।
कुछ तो एक ही परिवार के अलग-अलग नामों से चार-चार फर्में चला रही हैं,
ताकि पुराने मामलों की जांच का असर नए कारोबार पर न पड़े।
ये कंपनियां सरकारी अधिकारियों के साथ पार्टनरशिप में कॉलोनियाँ काटती हैं,
और जब मामला उठता है, तो हर जगह जवाब मिलता है – “जांच जारी है।”

 

🔹 5. जब आम नागरिक ने आवाज़ उठाई…

मॉडल टाउन के ही निवासी ने कहा —

“हमारे पास सबूत हैं, पर हमें डर है कि अगर आवाज़ उठाई तो
वो लोग हमारे घर तक पहुंच जाएंगे।”
यह वाक्य बताता है कि डर अब अपराधियों का नहीं, बल्कि ईमानदार नागरिकों का साथी बन गया है।

 

🔹 6. यमुना टाइम्स की जांच में सामने आए प्रमुख बिंदु

📍 कई निर्माण ऐसे जिनका नक्शा आवासीय पास हुआ, लेकिन आज कमर्शियल उपयोग में हैं।
📍 CLU की मंजूरी निर्माण शुरू होने के महीनों बाद मिली।
📍 कुछ अफसरों ने एक ही जमीन पर दो बार अनुमोदन दिया।
📍 शिकायतकर्ताओं को “समझौता” करने के लिए बुलाया गया।
📍 निगम रिकॉर्ड में कई भवनों का विवरण “नष्ट” या “उपलब्ध नहीं” लिखा है।

 


🔹 7. सवाल — क्या विकास का चेहरा अब धंधे का मुखौटा बन गया है?

यमुनानगर के नागरिक पूछ रहे हैं:

“क्या विकास का मतलब यह है कि हर नियम तोड़ो और बाद में फीस देकर वैध कर लो?”
“क्या नियम केवल उन पर लागू हैं जिनके पास रसूख नहीं?” यमुनानगर में किस प्रकार नियमों और कायदों को ताक पर रखकर कालोनिया काटी जा रही हैं इसकी एक वीडियो हम आपको दिखा रहे हैं! मजेदार बात यह है कि इस अवैध कॉलोनी  के बारे में शहर का बच्चा-बच्चा तो जानकारी रखता है लेकिन संबंधित अधिकारियों को शायद इसकी जानकारी नहीं है, बाकी आप समझदार हैं कि ऐसा क्यों है?

 

 

सवाल कड़े हैं —
और इनके जवाब देने से प्रशासन और सत्ता दोनों कतराते दिख रहे हैं।

-यमुना टाइम्स की यह सीरीज़ अब अपने निर्णायक चरण में प्रवेश करेगी।
जमीन, जन और जिम्मेदारी को लेकर सच बोलना वाकी है क्यूंकि यमुना टाइम्स की इन्वेस्टिगेशन रिपोर्टिंग जारी है…..

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