जब दलालों से तेज़ भागती है प्रशासनिक खामोशी”

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“सट्टा रोड नेटवर्क: जब दलालों से तेज़ भागती है प्रशासनिक खामोशी” भाग-6

यमुना टाइम्स ब्यूरो

यमुनानगर (राकेश भारतीय) जिले का सट्टा रोड — नाम सुनते ही कई लोगों के चेहरे पर मुस्कान और कुछ के माथे पर पसीना आ जाता है।

यही वह इलाका है जहां रियल एस्टेट और सट्टे का गठजोड़ प्रशासन के नियमों को रोज़ चुनौती देता है।
कहने को यहां विकास की रफ्तार दिखती है, पर हकीकत में यह कानून की रफ्तार को कुचलने वाला नेटवर्क बन चुका है।

⚙️ दलालों का साम्राज्य, सिस्टम की चुप्पी

सूत्र बताते हैं कि सट्टा रोड पर बनी दर्जनों कॉलोनियों में से कई की कोई मंजूरी नहीं है।
फिर भी यहां प्लॉट बिक रहे हैं, मकान उठ रहे हैं और बुकिंग एजेंट रातों-रात अमीर बन रहे हैं।
एक स्थानीय निवासी ने कटाक्ष किया —

“यहां नक्शा पास कराने की जरूरत नहीं, बस ‘पास वाले अफसर’ से तालमेल होना चाहिए।”

पड़ताल में यह भी सामने आया कि कुछ डीलर सीधे अफसरों तक पहुंच रखते हैं,
जो या तो कार्रवाई टालते हैं या रिपोर्ट को “अपूर्ण जानकारी” बताकर फाइल दबा देते हैं।
कई बार तो यही अधिकारी बाद में कॉलोनी में “सम्मानित अतिथि” बनकर शिलान्यास कर देते हैं।

💸 राजनीतिक रिश्तों का कवच

“यमुना टाइम्स” को प्राप्त जानकारी के अनुसार कुछ रियल एस्टेट कारोबारी अब स्थानीय राजनीति में सक्रिय हैं।
वे जनसभाओं में आगे की पंक्ति में नजर आते हैं, नेताओं को आर्थिक सहयोग देते हैं,
और बदले में उन्हें मिलता है — “बिना रोक-टोक निर्माण की गारंटी।”
एक सूत्र ने बताया —“कई कारोबारी खुद को ‘समाजसेवी’ बताकर तस्वीरें खिंचवाते हैं।

पर सच्चाई यह है कि उनका असली समाज सेवा ‘सिस्टम को सेट करना’ है।”

जनता का बढ़ता रोष

सट्टा रोड और आस-पास के क्षेत्रों में अब आम लोग खुलकर बोलने लगे हैं।
लोगों का कहना है कि जब प्रशासन का रवैया “देखो और चुप रहो” वाला है,
तो जनता को ही अपनी आवाज़ उठानी होगी।
एक समाजसेवी ने कहा —

“कानून का मजाक बन चुका है।
सरकार कहती है भ्रष्टाचार खत्म होगा,
लेकिन यहां तो भ्रष्टाचार ही सरकार जैसा व्यवहार कर रहा है।”

🚨 सवाल जस का तस

➡️ क्या जिला प्रशासन कभी इस नेटवर्क को तोड़ेगा?
➡️ या फिर “जांच जारी है” का राग हमेशा की तरह गूंजता रहेगा?
➡️ क्या नेताओं की छत्रछाया में कानून भी अब “विकल्प आधारित” हो गया है?

क्या है सट्टा रोड”

सट्टा रोड”यहाँ एक औपचारिक भौगोलिक नाम नहीं, बल्कि  शब्दावली है — जो उन इलाकों को दर्शाती है जहाँ जमीन-डीलिंग, प्लॉटिंग और अवैध कॉलोनियों का व्यापार तेज़ी से और अनौपचारिक रूप से होता है। इन क्षेत्रों में अक्सर “सेटिंग”, दलाली और राजनीतिक-प्रशासनिक संरक्षण का नेटवर्क सक्रिय रहता है; इसलिए रिपोर्ट में इसे हमने डीलिंग-हब/दलाल-नेटवर्क के रूप में संदर्भित किया है। यह एक संकेत-नाम है जो जमीन-व्यापार की गंदगी और गैर-कानूनी गतिविधियों को जनसमूह में पहचान दिलाता है।

 

जमीन से जाल तक: कब और कैसे बनी यमुनानगर की कॉलोनियां अवैधता का साम्राज्य”
“यमुना टाइम्स” सच्चाई की यह श्रृंखला जारी रखेगा — क्योंकि सच बोलना अभी बाकी है।

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