“फाइलों से लेकर फील्ड तक: अवैध कॉलोनियों का ‘नेटवर्क सिस्टम’ कैसे चलता है?” भाग 4
यमुना टाइम्स ब्यूरो
यमुनानगर ( राकेश भारतीय)जिला प्रशासन के कार्यालयों में जहां “कॉलोनियों की जांच जारी है” की फाइलें धूल खा रही हैं, वहीं ज़मीन पर गैर-कानूनी कारोबार फल-फूल रहा है।
“यमुना टाइम्स” की पड़ताल में सामने आया है कि यमुनानगर जिले में अवैध कॉलोनी काटने का खेल कोई अकेले डीलर नहीं खेल रहा —
बल्कि इसके पीछे एक संगठित नेटवर्क काम करता है, जिसमें दलाल, अफसर, राजनेता और कुछ तकनीकी कर्मचारी तक शामिल हैं।
⚙️ कैसे चलता है पूरा सिस्टम:
जांच में यह बात सामने आई कि सबसे पहले कॉलोनाइज़र ग्रामीण जमीन को किसानों से सस्ते दामों में खरीदता है।
इसके बाद बिना किसी मंजूरी के प्लॉट काटे जाते हैं और बुकिंग के नाम पर अग्रिम राशि ली जाती है।
नक्शे और पेपर तैयार कराने के लिए रिटायर्ड ड्राफ्ट्समैन व क्लर्कों की सेवाएं ली जाती हैं, जो पुराने अनुभव के दम पर “पेपर को वैध” बनाने की कला जानते हैं।
उसके बाद शुरू होता है “सेटिंग सिस्टम” का खेल
फाइलें ऊपर भेजी जाती हैं, और जहां जरूरत पड़े, वहां डीलिंग की डोर काम करती है।
सूत्रों का कहना है कि हर मंज़िल पर कुछ न कुछ “सेवा शुल्क” तय होता है, जो अंत में अनुमति से लेकर निरीक्षण रिपोर्ट तक को “क्लीन चिट” बना देता है।
अधिकारी क्यों मौन हैं?
जिला स्तर पर कई बार अवैध कॉलोनियों की शिकायतें आईं, मगर कार्रवाई के नाम पर “नोटिस जारी” और “जांच जारी” की औपचारिकता से आगे कुछ नहीं हुआ।
सूत्र बताते हैं कि कुछ कॉलोनाइज़र राजनीतिक संरक्षण के चलते इतना प्रभावशाली बन चुके हैं कि “ऑफिसर को भी समझाने” की ताकत रखते हैं।
कई बार तो यही कारोबारी अधिकारियों को धमकी तक दे देते हैं कि “हम ऊपर तक बात कर लेंगे।”
जनता के लिए परिणाम:
इन कॉलोनियों में रहने वाले लोग बाद में बुरी तरह फंस जाते हैं —
न बिजली का स्थायी कनेक्शन, न पानी की लाइन, न सड़क की गारंटी।
फिर भी, भोले-भाले लोग “प्लॉट सस्ता है” के चक्कर में अपना जीवनभर का पैसा दांव पर लगा देते हैं।
सवाल जो प्रशासन को जवाब देना होगा:
➡️ आखिर कौन हैं वो लोग जो कानून के होते हुए भी कानून से ऊपर बन बैठे हैं?
➡️ क्यों “जांच” शब्द प्रशासन का सबसे सुरक्षित बचाव बन गया है?
➡️ और जनता कब तक इन भू-माफियाओं के जाल में फँसती रहेगी?
अगली रिपोर्ट : “कॉलोनियों से करोड़ों तक — जमीन से राजनीति तक पहुंचा काला धन”
“यमुना टाइम्स” की पड़ताल जारी है।










