हरियाणा के यमुनानगर में कागज़ी नावों पर तैरता प्रशासन

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“राम भरोसे बाढ़ प्रबंधन: करोड़ों खर्च, जनता बेहाल”

👉 कागज़ी नावों पर तैरता प्रशासन

हर साल करोड़ों रुपये खर्च होने के बावजूद बाढ़ प्रबंधन धराशायी। अधिकारी सिर्फ फाइलों और औपचारिकताओं तक सीमित।

👉 खेत बर्बाद, किसान त्रस्त

यमुना किनारे की सैकड़ों एकड़ ज़मीन पानी में समा गई। किसानों की मेहनत हर बार बहा ले जाती है बाढ़।

👉 खजूरी रोड बना ग्रामीणों की मुसीबत

50 से अधिक गांवों को जोड़ने वाला रास्ता टूटा-फूटा और जलभराव से बेहाल। फैक्ट्रियों के अतिक्रमण ने हालत और बिगाड़ी।

👉 फैक्ट्री मालिकों और प्रशासन की मिलीभगत

सड़क पर लकड़ी-प्लाई के ढेर, गेट से छोड़ा गया पानी—लेकिन प्रशासन आंखें मूंदे बैठा है।

👉 मौसम विभाग का अलर्ट, फिर भी नाकामी

तीन दिन के अलर्ट के बावजूद एक दिन की बारिश ने ही खोली सारी पोल। हथनीकुंड बैराज से पानी छोड़े जाने पर हड़कंप।

👉 सोम नदी का 50 साल का रिकॉर्ड टूटा

24,100 क्यूसेक पानी का बहाव, पुल के ऊपर से गुजरा पानी—हिमाचल से आवाजाही बंद। किसानो की 30 एकड़ से अधिक जमीन लील गई यमुना, इससे पूर्व भी सैकड़ो एकड़ जमीन लील चुकी यमुना

👉 नारकीय जीवन जी रहे लोग

सरकारी उदासीनता और भ्रष्ट अधिकारियों की वजह से ग्रामीणों ने मान लिया कि यह पिछले जन्मों का पाप है।

👉जिला प्रशासन के लिए फिर से प्रबंध नहीं,प्रभु बनकर आए तारणहार!

👉राम भरोसे बाढ़ प्रबंध तो फिर करोड़ों रुपया हर वर्ष स्वाहा क्यों?

👉बाढ़ प्रबंधों के नाम पर कागज की नाव चलाने वाले प्रशासनिक अधिकारी भरते हैं अपनी तिजोरिया

👉निकम्मे व निठल्ले कर्मचारियों के विरुद्ध कब होगी कार्रवाई?

यमुना टाइम्स ब्यूरो

यमुनानगर (राकेश भारतीय) बाढ़ प्रबंधो के नाम पर कागज की नाव चला कर हजारों ग्रामीणों की जिंदगियां दांव पर लगाने वाले चंद निकम्मे और निठल्ले अधिकारियों के विरुद्ध आखिर कब करवाई होगी? हर बार की तरह इस बार भी जिला प्रशासन के साथ-साथ जिला वासियों के लिए प्रभु तारणहार बनकर आए हैं, यदि मौसम विभाग के अलर्ट के अनुसार 3 दिन लगातार बारिश होती तो शायद सारी व्यवस्था तार तार हो जाती हालांकि इसमें कोई कसर अब भी बाकी नहीं रही है। बाढ़ प्रबंधन और मानसून का सामना करने के लिए सिंचाई विभाग के साथ-साथ तमाम विभागों और यमुनानगर में नगर निगम के प्रबंध चारों खाने चित हो गए है, धराशाई हो गए हैं। लोगों का कहना है कि यदि सब राम भरोसे ही रहना है तो फिर बाढ़ प्रबंधन के नाम पर हर वर्ष करोड़ों का खर्च क्यों?


बता दें कि हर वर्ष जिला प्रशासन बाढ़ प्रबंधन के नाम पर करोड़ों रुपया खर्च करता है। बाढ़ प्रबंधन और मानसून का सामना करने के हवा हवाई दावे हर बार औंधे मुंह गिरते हैं और लोगों की जिंदगियां बेहाल हो जाती हैं किसानों की सैकड़ो एकड़ भूमि जीवनदायिनी यमुना लील जाती है लेकिन यमुना के किनारो को मजबूत करने, मजबूत स्टड और तटबंध बनाने की बजाय केवल औपचारिकता कर कुछ निकम्मे अधिकारी अपनी तिजोरिया ही भरते है। अपने काम में बरती गई लापरवाही,कोताही और भ्रष्टाचार का खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ता है जिसके चलते हर बार जीवन दायनी यमुना लोगों और किसानों के लिए कालिया नाग बन जाती है।

बाढ़ प्रबंधो के नाम पर शहरी क्षेत्र भी अधिकारियों की लापरवाही व उदासीनता से अछूते नहीं है। हर बार मानसून का सामना करने के बड़े-बड़े दावे करने के साथ-साथ जनता को मुंगेरीलाल के सपने दिखाए जाते हैं लेकिन हल्की सी वर्षा से ही आवागमन अवरुद्ध हो जाता है । जल भराव इतना कि लोगों का सामान भी उसमें तैरने लग जाए। यमुनानगर के कई क्षेत्र तो ऐसे हैं जहां के लोगों ने समस्याओं को अंगीकार करते हुए इसे पिछले जन्मों का पाप मान लिया है। गौरी शंकर कुष्ठ आश्रम जिसे खजूरी रोड पर स्थानांतरित
किया गया था और खजूरी रोड के माध्यम से 50 से अधिक गांवों को जाने वाले ग्रामीणों के लिए खजूरी रोड का केवल दो किलोमीटर का मार्ग एक डरावना सपना बनकर रह गया है। युवा पीढ़ी तो यहां से पलायन कर रही है। सरकारे तो बनी लेकिन नहीं बदले निकम्मे और भ्रष्टाचारी अधिकारी जो पहले दूसरे दल के नेताओं के यहां हाजिरी लगाते थे और अब सत्तारूढ़ दल के नेताओं के यहां दंडवत होकर अपनी कुर्सी बचाए हुए हैं। विकास का मॉडल देखना हो तो खजूरी रोड पर विजिट करके कोई भी नेता या अधिकारी देख सकता है कि किस प्रकार यहां के लोग नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं। भाजपा सरकार ने खजूरी रोड को जठलाना से लेकर शादीपुर तक तो बनवाया लेकिन शादीपुर से यमुना पल तक का लगभग दो किलोमीटर का रोड छोड़ दिया गया। बताया जाता है कि यहां भी सीमा विवाद सामने आया सीमा विवाद भी दो देशों या प्रदेशों या जिलों का नहीं बल्कि विभागों का। शादीपुर तक सड़क बनाने वाले पीडब्ल्यूडी विभाग का कहना था कि शादीपुर से यमुना पुल तक का मार्ग का क्षेत्र निगम में आता है और यह मार्ग बनाना उसकी जिम्मेदारी है।

50 से अधिक गांव के लोग खजूरी रोड से होकर शहर जाते हैं दूसरे शब्दों में कहें तो यह रोड ग्रामीण क्षेत्र और शहरी क्षेत्र के बीच एक सेतु का काम करता है, चूंकि पंजूपुर पुल के नजदीक यमुना पर काम चल रहा है इसलिए सारा ट्रैफिक खजूरी रोड से होकर जाता है जो बदहाल है। सरकारे उद्योग जगत को सुविधा देती हैं और उद्योग जगत के लोग भी सरकारों से अपेक्षा करते हैं लेकिन अपने कर्तव्य को भूल जाते हैं। खजूरी रोड को सरकारी उदासीनता के चलते फैक्ट्री संचालकों ने भी अपनी निजी संपत्ति समझ लिया है। फैक्ट्री के गेट के बाहर लकड़ियों के ढेर,प्लाई के चट्टे, सड़क पर ही रखे जनरेटर जहां यातायात को अवरुद्ध करते हैं वही पानी निकासी में भी बाधा बनते हैं। रोड के किनारे राखी प्लाई और प्लाई पत्तों को उठाने के लिए यहां फोर्कलिफ्ट से जब काम किया जाता है तो सड़क के दोनों और वाहनों की लंबी-लंबी का तर लग जाती है लेकिन फैक्ट्री मालिकों की बला से, दूसरी ओर दो पहिया वाहनों के धड़ाधड़ चालान काटने वाली यातायात पुलिस को जहां कुछ नजर नहीं आता आप समझ गए होंगे क्यों नजर नहीं आता।खजूरी रोड की सरकारी संपत्ति को अपनी संपत्ति मानने वाले फैक्ट्री मालिक अपनी इकाइयों को मिटटी डलवा कर ऊंचा उठाने की जहमत नहीं करते लेकिन जब इसमें पानी भर जाता है तो वह पाइप लगाकर सड़कों पर छोड़ देते हैं, जिससे खजूरी रोड पर हर समय पानी भरा रहता है। कई फैक्ट्री मालिको ने तो अपना पानी खजूरी रोड पर छोड़ने के लिए बाकायदा प्लास्टिक के पाइप तक फिट करवा दिए हैं।
मौसम विभाग द्वारा तीन दिनों का अलर्ट जारी किया गया था आज तीसरा दिन है लेकिन यह गनीमत है कि दूसरे दिन जहां कम बारिश हुई वहीं तीसरे दिन अब तक बारिश नहीं हुई है लेकिन एक दिन की तेज बारिश ने ही प्रशासन के प्रबंधों की हवा निकाल दी। पहाड़ी क्षेत्रों में हुई मुसराधार वर्ष से यमुना भी उफान पर रही,
यमुना नदी करनाल, पानीपत, सोनीपत व दिल्ली से आगे पहुंचती है। हथनी कुंड बैराज के 18 गेट हैं। इसमें से तीन गेट उत्तर प्रदेश के जिला सहारनपुर में और 15 हरियाणा के यमुनानगर में हैं। कल रात ही बैराज के सभी गेट खोल दिए गए थे। बैराज की नौ लाख 85 हजार क्यूसेक जल बहाव की क्षमता है। बैराज से पानी को चैनल (नहर व नदी) में डायवर्ट किया जाता है।

सोम नदी का कहर, 50 वर्षों में सर्वाधिक पानी
सोम नदी में पांच दशक में सबसे अधिक 24,100 क्यूसेक बहाव दर्ज किया गया, जबकि पिछले साल 21896 क्यूसेक बहाव दर्ज किया गया। नदी के उफान आने से गांव धनौरा के समीप पानी पुल के ऊपर से होकर गुजरा। इससे हिमाचल प्रदेश से आवागमन बंद हुआ।

घाड़ क्षेत्र के गांव उत्तमवाला के समीप कांडी परियोजना के तहत बने चेक डैम का तटबंध टूटने से गांव उत्तमवाला व पानीवाला में दो सौ एकड़ में जलभराव हुआ है। कपालमोचन से साढौरा को जाने वाली सड़क पर ताहरपुर के समीप खेतों में पानी का बहाव भी सड़क पर जलभराव होने के कारण आवाजाही बंद रही।
बहरहाल देखना है कि सबका साथ सबका विकास का नारा और ना खाएंगे ना खाने देंगे के दावे करने वाले दलों के नेता भ्रष्टाचार की दलदल में डूबे चंद भ्रष्ट अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई करने के साथ-साथ इन समस्याओं से जनता को निजात दिलाने के लिए क्या कदम उठाते हैं।

क्या कहते हैं सिंचाई विभाग के अधिकारी
सिंचाई विभाग के सुप्रीटेंडेंट इंजीनियर आर एस मित्तल ने बताया कि पहाड़ों में हो रही वर्षा से यमुना का जलस्तर बड़ा है और 1लाख 78000 क्यूसेक पानी हथिनी कुंड बैराज से छोड़ा गया है। उन्होंने लोगों से अपील की की यमुना के आसपास ना जाए, क्योंकि पानी लगातार बढ़ रहा है ,अपने पशुओं को भी दूर रखें । बाढ़ प्रबंधों की नाकामी बारे उन्होंने कहा कि प्राकृतिक आपदा के आगे सब विवश हैं हालांकि उन्होंने कहा कि उनके विभाग द्वारा बाढ़ के पूरे प्रबंध किए गए हैं। यमुनानगर की ओवरऑल स्थिति के बारे में उच्च अधिकारी ही बता सकते हैं। दूसरी और यमुनानगर में हुए जल भराव एवं बाढ़ प्रबंधन की नाकामी के बारे में जब निगम अधिकारियों से संपर्क करने का प्रयास किया गया तो उनका पक्ष नहीं मिल पाया। यमुना टाइम्स को निगम अधिकारियों के पक्ष का भी इंतजार रहेगा।

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