खैर के जवान पेड़ों की छाती पर चला कुल्हाडा, कई वृक्षों की मौत

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राजाजी नेशनल पार्क के पश्चात एशिया के सबसे बड़े वन क्षेत्र में जवान वृक्षों की छाती पर चले कुल्हाडे, वन मंत्री ने दिए कार्रवाई के निर्देश

वन कार्यालय से मात्र 300 मीटर दूरी पर कटे दर्जनों खैर के पेड़ों के सवाल पर भड़के डीएफओ

चर्चा है कि वृक्षों की कटाई की सूचना मिलने के बाद भी विभाग के चांद निगम में और इंटरलेयर अधिकारी इसे उत्तर प्रदेश की सीमा का बताते रहे बहुत बड़ा मामला जांच होने पर कई अधिकारी भी नप सकते हैं

 

यमुना टाइम्स ब्यूरो

यमुनानगर ( राकेश भारतीय )खैर तस्करों के हौसले जहां इस कदर बुलंद हैं कि वह धड़ल्ले से विभागीय कार्यालय की नाक के तले जवान वृक्षों की छाती पर कुल्हाड़ी चला रहा है वही निकम्मे वंठठले चंद विभागीय अधिकारी इसे अपने क्षेत्र में ना होने की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ते रहे लेकिन बाद में 1:00 मंत्री चौधरी कंवर पाल ने जांच के आदेश दिए हैं।

खैर तस्करों द्वारा बीती रात कलेसर जंगल की बेली से एक दर्जन से भी अधिक पुराने बेशकीमती खैर के पेड़ों के काटने का मामला सामने आया है। खास बात तो यह है कि जिस जगह से यह बेशकीमती पेड़ काटे गए हैं। वहां से कलेसर वन विभाग का कार्यालय मात्र 300 मीटर की दूरी पर है। जहां से बेली में खड़े बेशकीमती करोड़ों रुपए के खैर साफ दिखाई देते हैं लेकिन क्या रात के अंधेरे में वन विभाग को खैर कटने की आवाज या लाईटें दिखाई नहीं दी। ऐसे में वन विभाग कलेसर में तैनात अधिकारी व कर्मचारियों की मिलीभगत से इनकार नहीं किया जा सकता क्योंकि खैर कटने का यह पहला मामला नहीं है। इसके अलावा भी जंगल के चारों तरफ अलग-अलग बीट में खैर कटने के दर्जनों मामले सामने आ चुके हैं लेकिन विभाग के आला अधिकारी व सरकार इस पर मौन है। उधर अपने बचाव में वन विभाग कलेसर इस जमीन को पंचायत की बता रहा है हालांकि वनों की सुरक्षा की जिम्मेदारी वन विभाग की बनती है।

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बता दें की कलेसर नेशनल पार्क के अंतर्गत आने वाले जंगलों में खैर के बेशकीमती पेड़ों की कटाई लगातार जारी है। खैर तस्करों की कुल्हाड़ी सालों पुराने पेड़ों पर चल रही है। ताजा मामला बीती रात कलेसर वन विभाग कार्यालय के सामने बेली का है। जहां पर एक दर्जन से भी अधिक खैर के बेशकीमती पेड़ों पर कुल्हाड़ा चला।

शिकायत के बाद भी नहीं होती कार्रवाई

स्थानीय लोग जंगल में कट रहे बेशकीमती खैर व सागवान के पेड़ों की शिकायत कई कई बार कलेसर रेंज समेत जिला अधिकारी तक दे चुके हैं लेकिन कार्रवाई आज भी जीरो है। ऐसे में वन विभाग व खैर तस्करों की सांठगांठ से भी इनकार नहीं किया जा सकता। वनों व पर्यावरण को बचाने के लिए अब स्थानीय लोग जंगल से कटे हुए बेशकीमती पेड़ों की फोटो व वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डाल रहे हैं। अब देखना यह है कि वन विभाग के आला अधिकारी व वन मंत्री इस पर क्या संज्ञान लेते हैं।

शिकायत करने पर धमकाते हैं वन कर्मी व तस्कर

क्षेत्र के लोगों ने बताया कि यह पहला वाकया नहीं है। ऐसा यहां होता रहता है। लोग इसका विरोध करना चाहते हैं। लोग जब इसकी शिकायत रेंज अधिकारी कलेसर को देते हैं तो वे कोई कार्रवाई नहीं करते। उल्टा शिकायतकर्ता के पास खैर तस्करों का फ़ोन आता है जिसमें उसी को फंसाने की धमकी देने लगते हैं। इस बात से साफ अंदाजा लगाया जाता है कि वन विभाग में तस्कर आपस में सांठगांठ कर जंगल को साफ करने पर लगे हुए हैं।

वनों व पर्यावरण की सुरक्षा जरूरी… बलबीर चौधरी

वन रक्षा आंदोलन के महासचिव चौधरी बलबीर सिंह कलेसर का कहना है कि वनों व पर्यावरण की सुरक्षा की जिम्मेदारी हम सब की बराबर है। इसके लिए हम सबको आगे आना होगा। उन्होंने बताया कि कलेसर रेंज के इस क्षेत्र में खैर के वर्षों पुराने पेड़ खड़े हैं। जो कीमती और दुलर्भ भी हैं। इनकी बाजार में भारी मांग और कीमत हैं। इस कारण यहां से पेड़ों की कटाई की जाती है। यह कटाई तस्करों द्वारा लगातार की जा रही है। स्थानीय लोग इसकी सूचना वन विभाग को देते हैं, परंतु इस पर कार्रवाई नहीं की जाती।

लोगों के घरों में पड़ा मिल जाएगा खैर व सांगवान

जंगल से अवैध रूप से काट कर लाई गई बेशकीमती लकड़ी को एक तरफ जहां मोटे दामों पर मंडियों में बेचा जा रहा है,वहीं अभी भी कई क्विंटल लकड़ी आसपास गांवों में लोगों के घरों में पड़ी मिल जाएगी। ऐसा नहीं है कि वन विभाग को इसकी जानकारी नहीं है। जिन लोगों के घरों पर यह लकड़ी पड़ी है वह लोग वन विभाग कलेसर के अधिकारी व कर्मचारियों के नजदीकी या रखवाले हैं।

 

सेंचुरी एरिया से सूखा पत्ता उठाना भी जुर्म

वन रक्षा आंदोलन के महासचिव एवं वरिष्ठ समाजसेवी चौधरी बलबीर सिंह कलेसर ने बताया कि वन मंत्रालय भारत सरकार के नियमानुसार कलेसर नेशनल पार्क क्षेत्र से सूखा पत्ता भी उठाने की इजाजत नहीं है। फिर ऐसे में इतने बड़े-बड़े भारी-भरकम पेड़ों को किसकी इजाजत से कटवाया जा रहा है। ऐसा प्रतीत होता है कि यहां पर सब कुछ वन विभाग व खैर तस्करों की साठगांठ से हो रहा है। सरकार व विभाग के आला अधिकारियों को इस पर संज्ञान लेने की जरूरत है।

प्रस्ताव डालकर बीडीपीओ को सौंपा ….सरपंच

इस बारे में कलेसर के सरपंच ज्ञानचंद का कहना है कि जिस जमीन से खैर के पेड़ काटे गए हैं। उस जमीन पर पेड़ लगाने से लेकर उनकी सुरक्षा का जिम्मा वन विभाग के पास है। ऐसे में वनों की सुरक्षा का जिम्मा भी वन विभाग के अधिकार क्षेत्र में है, फिर भी उन्होंने प्रस्ताव डालकर कार्रवाई के लिए बीडीपीओ कार्यालय में सौंप दिया है।

डीएफओ बोले मैं ब्यान देने के लिए नहीं हूं अधिकृत

कलेसर रेंज के अंतर्गत आने वाले बेली क्षेत्र से तस्करों द्वारा काटे गए खैर के मामले में बात करने पर डीएफओ यमुनानगर राजेश कुमार का कहना है कि वह इस बारे में कुछ भी बताने के लिए अधिकृत नहीं है। ऐसे में सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि जंगलों के अवैध कटान की पूरी जानकारी डीएफओ यमुनानगर को है इसलिए वह चुप्पी साध रहे हैं।

जांच के दिए आदेश, तुरंत होगी कार्रवाई… वन मंत्री

इस बारे में वन मंत्री चौधरी कंवर पाल गुज्जर का कहना है कि कलेसर जंगल से कटे खैर के पेड़ों की जानकारी उनको मिल गई है। जिस पर पीसीसीएफ हरियाणा को वन विभाग के कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए आदेश दिए गए हैं। बताया जा रहा है कि यहां कुछ एरिया पंचायत का है लेकिन वनों की सुरक्षा का जिम्मा वन विभाग के पास है। ऐसे में पूरे मामले की जांच के आदेश दिए गए हैं। दोषी पाए जाने वाले अधिकारी व कर्मचारियों को बख्शा नहीं जाएगा। वनों की सुरक्षा में कोताही बर्दाश्त नहीं होगी।

 

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