चुनाव के नाम पर डरी है भाजपा इसलिए नहीं करवा रही निगम चुनाव : सेल जा

इस खबर को सुनें

चुनाव के नाम पर डरी हुई भाजपा पिछले तीन सालों से टालती आ रही है निकाय चुनाव: कुमारी सैलजा

समय पर निकाय और पंचायती चुनाव न करवाना नागरिकों के अधिकारों का हनन

चुनाव आयोग को न तो वार्डबंदी और मतदाताओं की सूची तक नहीं सौंप पाया चुनाव विभाग

यमुना टाइम्स ब्यूरो

चंडीगढ़, 16 जून ( राकेश भारतीय ) अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, हरियाणा कांग्रेस की पूर्व प्रदेशाध्यक्ष, उत्तराखंड की प्रभारी, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं कांग्रेस कार्यसमिति की सदस्य एवं सिरसा लोकसभा सीट से कांग्रेस (इंडिया गठबंधन) की विजयी सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि हरियाणा सरकार चुनाव के नाम पर डरी हुई, निकाय चुनाव पिछले तीन वर्षों से टाले जा रहे हैं, लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद से भाजपा के पैरों तले की जमीन ही खिसक गई है, अब वह कोई न कोई बहाना बनाकर इन चुनाव को विधानसभा चुनाव से पहले करवाने में कतरा रही है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि तुरंत निकाय चुनाव करवाएं और राजीव गांधी द्वारा लाए गए पंचायती राज बिल के अनुसार नगरों का विकास शहरों के हवाले करें।

 

मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि हरियाणा में कई निकाय ऐसे है, जिनका कार्यकाल खत्म हुए कई साल गुजर चुके है। इतना ही नहीं हरियाणा के चुनाव आयुक्त की ओर से इस बारे में 31 मई 2024 को प्रदेश सरकार को पत्र लिखा जा चुका है, लेकिन सरकार की ओर से अभी तक इस बारे में कोई फैसला नहीं लिया गया। उन्होंने कहा कि हरियाणा में कुल 35 स्थानीय निकायों के चुनाव होने है। इनमें 08 नगर निगम, चार नगर परिषद और 23 नगर पालिका शामिल है। इनमें केवल मानेसर नगर निगम के चुनाव जून 2026 में होने है। प्रदेश के शेष निकायों का कार्यकाल पूरा हो चुका है। इनमें फरीदाबाद नगर निगम का कार्यकाल 12 फरवरी 2022 को खत्म हो चुका है, जबकि गुरुग्राम निगम का 02 नवंबर 2022, हिसार निगम का 08 जनवरी 2024, करनाल निगम का 03 जनवरी 2024, पानीपत और रोहतक निगम का 03 जनवरी 2024 और यमुनानगर नगर निगम का कार्यकाल 06 जनवरी 2024 को पूरा हो चुका है। इसके अलावा सिरसा नगर परिषद का कार्यकाल 19 अक्टूबर 2021, अंबाला सदर का 10 सितंबर 2020, थानेसर का 24 जुलाई 2021 और पटौदी जाटोली मंडी का कार्यकाल जून 2023 में पूरा हो चुका है। इसके अलावा 23 नगर पालिका का कार्यकाल भी पूरा हो चुका है, जिसमें बराड़ा, बवानीखेड़ा, लोहारू, सिवानी, फारुख नगर, आदमपुर, नारनौंद, बेरी, जुलाना, कलायत, सिवान, पुंडरी, इंद्री, नीलोखेड़ी, अटेली मंडी, कैनाना, तावडू, हथीन, कलानौर, खरखोदा, कालांवाली, रादौर और जाखल मंडी की नगर पालिका शामिल है।

उन्होंने कहा कि स्थानीय निकाय चुनाव को लेकर सरकार की मंशा ठीक नहीं लग रही है। अभी तक कई शहरी निकायों में वार्डबंदी का काम भी पूरा नहीं हुआ है, केंद्रीय एवं राज्य निर्वाचन विभाग ने चुनाव आयोग को विधानसभा वार मतदाताओं की सूची तक नहीं सौंपी है। चुनाव आयोग विधानसभा वार मतदाताओं की सूची मांग चुका है ताकि संशोधित मतदाता सूची तैयार की जा सके, इस कार्य में कम से कम डेढ़ माह का समय लगता है इसके बाद ही मतदाता सूची को फाइनल किया जाता है, तक विधानसभा चुनाव दस्तक दे चुके होंगे, लगता है सरकार भी विधानसभा चुनाव तक इन चुनावों को टालना चाहती है। उन्होंने कहा कि जमीनी स्तर पर लोगों को सशक्त बनाने का दृढ़ संकल्प लेकर तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने 1991 के लोकसभा चुनाव के घोषणापत्र में पंचायती राज संस्थाओं को सशक्त बनाने का वादा किया। बतौर लोकसभा सदस्य मैं उस पल की साक्षी हूं, जब 73वें और 74वें संविधान संशोधन अधिनियम के लागू होने पर राजीव गांधी का सपना पूरा हुआ, जिससे ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में पंचायतों, त्रि-स्तरीय पंचायतों और नगर पालिकाओं को पर्याप्त शक्तियां, वित्तीय संसाधन और महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित करने का फैसला लिया गया। उन्होंने कहा कि अधिक समय तक निकाय और पंचायती चुनाव टालना नागरिकों के अधिकारों का हनन है।

 

स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे