बिना Ec के चल रही फेक्ट्रियो पर प्रदूषण विभाग की धमक

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  1. बिना Ec के चल रही फेक्ट्रियो पर प्रदूषण विभाग की धमक
  2. एक सील फैक्ट्री के चलने के आरोपों पर जांच को पहुंची विभाग की टीम
  3. यमुना टाइम्स ब्यूरो
    यमुनानगर (राकेश भारतीय ) एनजीटी के आदेशों के बाद बिना पर्यावरण क्लीयरेंस के चल रही फार्मल डी हाइट की फैक्ट्रियो में भले ही कुछ समय के लिए उत्पादन ठप्प हो गया हो लेकिन कुछ दिनों के बाद आरोप है कि कुछ
    फैक्ट्रीज बिना डर के उत्पादन करने लगी है । आदेशों के बाद चल रही जिले की चंद फैक्ट्रियों की बात सामने आने पर आज पॉल्यूशन कंट्रोल बिना क्लीयरेंस के ही चल रही कुछ फैक्ट्रियों को बंद कराने की कार्रवाई शुरू
    की । बुढ़िया रोड स्थित एक फैक्ट्री संचालक द्वारा बोर्ड के अधिकारियों के साथ पहुंची मीडिया टीम को अंदर जाने से रोक दिया करीब एक घंटे के बाद अधिकारियो ने मीडिया कर्मियों से अंदर जाकर बाईट करने को कहा इस बीच विभाग ने अंदर क्या किया इस बारे भी विभागीय टीम संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाई ।
    नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेशों के बाद देश भर की वर्ष 2006 के बाद लगी फेक्ट्रियो को जो बिना पर्यावरण क्लीयरेंस के चल रही थी पर रोक लगा दी थी । बता दे कि हरियाणा में 18 फैक्ट्रियां ऐसी थी जोकि साल 2006 में बनाए पर्यावरण नियम के अनुसार फार्मल डी हाइट की फैक्ट्री लगाने के लिए पर्यावरण क्लीयरेंस लेना जरूरी है। यमुनानगर में कुल ग्यारह फैक्टरियां हैं। इसमें एक को छोड़ दस इसके बाद लगी हैं। लेकिन किसी के पास पर्यावरण
    क्लीयरेंस नहीं है। यह मसला एनजीटी तक
    गया, वहां से ऑर्डर आने के बाद पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के अधिकारियों ने
    बिना क्लीयरेंस लिए चल रही फैक्ट्रियों को बंद कराने की कार्रवाई शुरू
    की। हरियाणा में 18 फैक्ट्रियां ऐसी थी जोकि बिना पर्यावरण क्लीयरेंस के
    चल रही थी जिसमें 3 फ़ैक्टरी 2006 से पहले की हैं। यहां बता दे कि 2006
    के क़ानून के अनुसार अगर किसी पुरानी फ़ैक्टरी ने अपनी उत्पादक क्षमता
    बढ़ाई है तो उसे भी EC लेने की ज़रूरत है। अगर इस नियम से चलें तो यह सब
    फ़ैक्टरी भी बंद हो जायेंगी। अगर यह हुआ तो सब तरफ़ अफ़रातफ़री मच जाएगी
    और इस सबसे बड़ी प्लाइवुड मंडी पे बहुत बड़ा संकट आ जाएगा क्योंकि
    फ़ॉर्मैल्डेहायड के बिना ग्लू नहीं बन सकता।
    उद्योगपतियों का कहना है कि एक तो करोना और लाक्डाउन की मार दूसरा यह
    अजीब सरकारी आदेश उनको कहीं का नहीं छोड़ेगा। उन्होंने बैंक से पैसा ले
    रखा है जिसका वो भुगतान नहीं कर पाएँगे। जिस प्रकार से हरियाणा सरकार इस
    इंडस्ट्री के प्रति नेगेटिव रुख़ अपना रही है वो एशिया की इस प्लाइवुड
    मंडी को बर्बाद कर देगा। यह बात भी क़ाबिले गौर है की इस आदेश की पालना
    केवल हरियाणा मैं हुई है। कांग्रेस शासित प्रदेशों यानी की पंजाब और
    राजस्थान में इस तरह का कोई ऐक्शन नहीं हुआ है।
    दूसरी और जिले की कुछ फैक्ट्रियां ऐसी भी है जो दूसरे उद्योगपतियों की
    भांति अपने रोजगार को बचाने का प्रयास करने की अपेक्षा कानूनों को ठेंगा
    दिखाते हुए दिन रात उत्पादन कर रही है । ऐसी शिकायते सामने आने के बाद आज
    पॉल्यूशन कंट्रोल ने बिना क्लीयरेंस के चल रही फैक्ट्रियो की जांच की ।
    एक फैक्ट्री तो बाहर से सील थी लेकिन आरोप है कि उसके अंदर करीब 30 -35
    लोग काम कर रहे थे। विभागीय अधिकारियो के साथ वहां पहुंचे मीडियाकर्मियो
    को उक्त फैक्ट्री संचालक ने बाहर ही रोक दिया करीब एक घंटे बाद विभागीय
    टीम बाहर आई तो अधिकारियो ने कहा कि वह अंदर जाकर फैक्ट्री संचालक का
    पक्ष ले सकते है लेकिन पत्रकारों ने जब प्रदूषण विभाग के एसडीओ अजय से
    पूछा कि आप ही बता दे कि क्या करवाई की गयी तो उन्होंने कहा कि वह इस
    बारे मीडिया को कुछ नहीं बता पाएंगे क्योकि वह मीडिया से बात करने के लिए
    अधिग्रहित नहीं है । मीडिया कर्मियों ने एसडीओ से पूछा कि क्या इस
    फैक्ट्री को विभाग ने सील किया है तथा क्या क्या कमियां पाई गई है तो वह कोई उत्तर नहीं दे पाए उन्होंने कहा कि हम मीडियो से बात करने के लिए अधिकृत नहीं है।
    बहरहाल विभागीय टीम की इस करवाई से जिले भर में विशेषकर प्लाईवुड उद्योग
    से जुड़े लोगो में हड़कंप मचा रहा ।
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