हरियाणवी लालों के किस्से :जब मुख्यमंत्रियों तक को दो टूक जवाब दे देते थे लोग

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तू तले आजा :जब मुख्यमंत्री ने मंच से कार्यकर्ताओं के बीच बैठे एक प्रमुख व्यक्ति को ऊपर बुलाया तो उसने कहा था मुख्यमंत्री तू ही नीचे आजा मैं ऊपर क्यों आऊं

–गुस्ताखी माफ़ हरियाणा : (पवन कुमार बंसल )
में कयू ऊपर आउ – त्तू तल्ले आजा। मेरी छतरी के नीचे आजा -कयू भीगे कमला खड़ी -खड़ी।
मेरी शीघ्र प्रकाशित होने वाली किताब ‘हरियाणवी लालों के सबरंगे किस्से ‘(रजत जयन्ती समारोह )से साभार।
हरियाणा के लालों के सबरंगे किस्से नामक मेरी किताब की रजत जयंती है। इस अवसर पर इसका नवीनतम संस्करण उसी फॉर्मेट में पिछले पच्चीस वर्ष के किस्से जोड़ कर शीघ्र पाठको के दरबार में हाजिर हो रहे है..अपने पाठक राजेंद्र राठी के सुझाव पर नाम में परिवर्तन कर “हरियाणवी लालों के सबरंग किस्से ;
रखा गया है।
हरियाणा लालो की धरती है। खान से निकलने वाले नहीं बल्कि राजनीति लाल। मसलन देवीलाल,बंसीलाल , भजनलाल और अब मनोहर लाल।फिर लालो के लाल और रणबीर सिंह के लाल भूपिंदर हूडा,देवीलाल के लाल ओमप्रकाश चौटाला और हरद्वारी लाल व् चिरंजी लाल।

इन लालों के अलावा हरियाणा की धरती ने बहुत से लाल और भी पैदा किये है जिन्होंने अपनी जिंदादिली और बहादुरी के रिकॉर्ड कायम किये है।
रोहतक में जनसत्ता अख़बार में नियक्ति के दौरान ऐसे कई लाल मिले। वैसे भी कहते है सो कोतकी और एक रोहतकी। हमारी बहन हिना रोहतकी ने पत्रकारिता में झंडे गाड़े है।

मिलिए ऐसे ही लाल हरिसिंह खेड़ी जट से । हम चर्चा कर चुके है की कैसे वो हरियाणा के लाल बंसीलाल पर आगबबूला हो गए थे जब उन्होंने सी एम रहते जूते पहने ही रोहतक में छोटू राम जयंती पर किसानो के मसीहा की प्रतिमा पर माल्यार्पण करना चाहा।अब सुनो की कैसे वो दूसरे लाल यानि भजन लाल से टकराए।


रोहतक जिले के सांपला में तत्कालीन चीफ मिनिस्टर भजन लाल जनसभा कर रहे थे और हरिसिंह जट सभास्थल में श्रोताओं में बैठे थे। उन दिनों सुरक्षा का इतना तामझाम नहीं होता था। भजन लाल की निगाह हरिसिंह पर पढ़ी और उन्होंने मंच से उनकी तरफ इशारा करते हुए कहा आप नीचे क्यू बैठे हो ,ऊपर यानि मंच पर आ जाओ। असल में

भजन लाल को लगा की मुंहफट हरिसिंह इस जाट बेल्ट में छोटू राम की जन्मस्थली में न जाने अचानक उठकर उनके बारे में क्या कह दे।? वैसे भी ओल्ड रोहतक जिसमे आज का झज्जर और सोनीपत भी आते है के जाट भजन लाल से खफा थे। भजन लाल ने जाटों को मनाने की लाख कोशिश की और सभाओं में कहा की बिश्नोई जाट ही होते है। अपनी उंगली दिखाते कहते की कैसे दराती से फसल काटते हुए उन्हें चोट लगी थी ,लेकिन जाटों ने उन्हें नहीं अपनाया। असल में 1982 में बहुमत देवीलाल के पास होने के बावजूद तत्कालीन राज्यपाल गणपति देव तपासे द्वारा भजन लाल को सी एम पद की शपथ दिला दी जिसके चलते जाट भजन लाल से नाराज थे। देवीलाल भगत जोगिन्दर ने फरीदाबाद में गणतंत दिवस पर आयोजित समारोह में तपासे का मुँह काला कर दिया था।

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सी एम द्वारा मंच पर बुलाये जाने की बात से कोईओर होता तो ख़ुशी से पागल हो जाता ,लेकिन हरिसिंह जट गर्जा ” में ऊपर क्यों आ जू -तो तले आ जा। ‘
मतलब में ऊपर मंच पर क्यूँ आउ तू ही नीचे यानि मेरे पास आजा। हरिसिंह छोटू राम के दिल से अनुयायी थे। छोटू राम के बायोलॉजिकल वारिस बीरेंद्र सिंह को हरिसिंह की जीवनी पर कोई कार्यक्रम कराना चाहिए।

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