खनन माफिया के गुंडों द्वारा किसानों पर हमला

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खनन माफिया के गुंडों द्वारा किसानों पर हमला

अवैध खनन के विरोध में महापंचायत में भाग ले रहे थे किसान

यमुना टाइम्स ब्यूरो
यमुनानगर (राकेश भारतीय) अवैध खनन के विरोध में किसानों द्वारा आज महापंचायत की घोषणा की गई थी जिससे झल्लाये माफिया के गुंडों द्वारा किसानों के खेतों में ही खनन आरंभ कर दिया जब किसानों ने विरोध किया तो गुंडों द्वारा आज किसानों पर हमला कर दिया गया।
जठलाना थाना क्षेत्र के गांव बाल छप्पर के यमुना घाट नंबर 13 के नजदीक किसानों की जमीन पर अवैध खनन को रोकने के लिए गए किसान पार्थ राणा व किरपाल राणा पर अवैध खनन करने वाले लोगों ने तलवारो और गंडासियों से हमला कर किसानों को घायल कर दिया. जिनका नागरिक अस्पताल यमुनानगर में इलाज चल रहा है । सूचना मिलते ही भारी संख्या में किसान संगठनों के पदाधिकारी व किसानो ने एकत्रित होकर धरना प्रदर्शन किया। सूचना मिलने पर पुलिस जिला उप अधीक्षक रजत गुलिया, जठलना थाना प्रभारी सहित पुलिस बल भी पहुंचा।


भारतीय किसान यूनियन टिकैत के जिला प्रधान सुभाष गुर्जर और चढूनी ग्रुप के जिला प्रधान संजू गुंदियाना ने कहा कि पुलिस और सरकार की मिलीभगत से सरेआम अवैध खनन लंबे समय से चल रहा है. जिसको लेकर समय-समय पर स्थानीय लोगों द्वारा व पत्रकारों के माध्यम से भी इस मुद्दे को उठाया गया. लेकिन अवैध खनन जारी रहा और उनके हौसले इतने बढ़ गए हैं कि कल जहां इन्होंने पत्रकारों पर हमला किया वहीं आज उन्होंने किसानों के खेतों में भी अवैध खनन शुरू कर दिया। जिसको लेकर किसान मालिकों ने एतराज किया तो उनके ऊपर तलवारों के साथ हमला कर बुरी तरह से घायल कर दिया. जिनका नागरिक अस्पताल यमुनानगर में इलाज चल रहा है। किसान संगठनों के प्रधानों ने कहा कि जब तक खनन माफिया के खिलाफ सख्त कार्रवाई पुलिस नहीं करती, यह धरना प्रदर्शन जारी रहेगा. उन्होंने मांग की कि किसान के खेतों में किए गए अवैध खनन करने वालों के ऊपर सख्त कार्रवाई की जाये
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हवा हवाई हुए एसपी के दावे
यमुनानगर के एसपी मोहित होंडा ने जब जिले की कमान संभाली तब गुंडागर्दी जिले में चरम सीमा पर थी तथा लूटपाट और गोली बाजी की घटनाएं आम थी उन्होंने अपनी कार्यशैली से लोगों में कानून के प्रति विश्वास दिलाया लेकिन खनन जोन में हो रहे खनन माफिया के गुंडों की गुंडागर्दी पर लगाम डालने में उनकी पुलिस नकारा साबित हुई है। यह तो पुलिस जाने की उन पर गुंडागर्दी हावी है या राजनेताओं की शिफारश लेकिन इतना तय है कि बिना पुलिस के संरक्षण के माफिया इतनी बड़ी कार्रवाई को अंजाम नहीं दे सकता कि माफिया के गुंडे किसानों पर बुजुर्गों पर ही लाठियां तलवारें और गंडासिया बरसा दें । जिले के पत्रकार एसपी से जब खनन माफिया की गुंडागर्दी और उन द्वारा दर्ज कराए मामले की शिकायत लेकर एसपी से मिलने गए थे तो एसपी ने अपने कार्यालय से बाहर आकर पत्रकारों से बातचीत की तथा जब पत्रकारों ने कहा कि किसान भी खनन माफिया की गतिविधियों से अत्यंत प्रसन्न है और वह किसान महापंचायत का आयोजन करने जा रहे हैं तो उन्होंने कहा था कि शांतिपूर्ण ढंग से कोई भी आंदोलन करें या अपनी मांग रखे तो ठीक है लेकिन जो व्यक्ति कानून को हाथ में लेगा तो उसके लिए पुलिस है लेकिन लगता है कि उनकी पुलिस हाथ पर हाथ धरे रह गई अब पुलिस पर माफिया के गुंडों का प्रभाव है या राजनीतिक दबाव या फिर किसी अन्य तरह का दबाव यह तो पुलिस ही जाने लेकिन जब पुलिस को पता था कि किसान महापंचायत का आयोजन करने जा रहे हैं तो क्षेत्र में पर्याप्त सुरक्षा प्रबंध क्यों नहीं किए गए यह यक्ष प्रश्न भी ग्रामीणों में चर्चा का विषय बना हुआ है।

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