तूल पकड़ने लगा फर्जी ग्रेडेशन सर्टीफिकेट का मामला

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चंडीगढ़। हरियाणा में फर्जी ग्रेडेशन सर्टीफिकेट का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। विजिलेंस ब्यूरो के राडार पर प्रदेश के करीब ढाई हजार खिलाड़ी आ गए हैं। जिन्होंने पिछले समय के दौरान फर्जी ग्रेडेशन सर्टीफिकेट के आधार पर नौकरियां हासिल की हैं। इनमें से बहुत से ऐसे भी हैं जिन्होंने स्पोर्टस कोटे में नौकरी के लिए आवेदन किया हुआ है। हरियाणा विजिलेंस ब्यूरो ने इसकी जांच शुरू कर दी है।
हरियाणा तथा पंजाब में खिलाडियों द्वारा नौकरी हासिल करने के लिए फर्जी ग्रेडेशन सर्टीफिकेट लिए जाने का मामला कई माह से गरमाया हुआ है। हरियाणा में पहले चरण में जहां केवल आठ सौ ऐसे मामले संज्ञान में आए वहीं अब इनकी संख्या बढकर ढाई हजार से पार हो चुकी है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल के संज्ञान में यह मामला आने के बाद इसकी जांच विजिलेंस ब्यूरो को सौंपी गई है। विजिलेंस ब्यूरो द्वारा खेलकूद
विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर जो रिपोर्ट तैयार की गई है उसके अनुसार अब तक पूरे प्रदेश में 2503 खिलाडियों के सर्टीफिकेट संदिग्ध पाए गए हैं।
अपनी जांच को आगे बढ़ाने से पहले विजिलेंस ब्यूरो तथा खेलकूद विभाग ने अधिकारियों को स्वेच्छा से ग्रेडेशन सर्टीफिकेट के संबंध में घेषणा करने अथवा अपना दावा वापस लेने की मोहलत दी थी। खेलकूद विभाग तथा विजिलेंस ब्यूरो द्वारा इन खिलाड़ियों को दी गई समयावधि भी अब समाप्त हो चुकी है। जिसके बाद पता चला है कि प्रदेश में हिसार जिला ऐसा है जहां सबसे अधिक 650 तथा नूंह में सबसे कम चार खिलाडियों के ग्रेडेशन सर्टीफिकेट संदिग्ध पाए गए हैं। विजिलेंस ब्यूरो ने जांच के दौरान इन सभी संदिग्ध खिलाडियों से रिकार्ड तलब कर लिया है। आने वाले दिनों में विजिलेंस ब्यूरो ह फर्जी ग्रेडेशन सर्टीफिकेट मामले में बड़ी कार्रवाई को अंजाम दे सकती है।

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