हरियाणा डेमोक्रेटिक फ्रंट की मांग पर चुनाव आयोग ने लगाई मोहर, वोटर लिस्ट पर की गई आपत्तियों को जायज माना

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अम्बाला छावनी:- अम्बाला सदर नगर परिषद के लिए होने वाले चुनावों के लिए बनाई गई वोटर लिस्टो में षड्यंत्र के तहत की गई धांधलियों के खिलाफ हरियाणा डेमोक्रेटिक फ्रंट व साथियों द्वारा आपत्तियां दर्ज करवाई गई थी। जिसके लिए एक लंबी लड़ाई लड़ने के बाद चुनाव आयोग ने आज उस पर अपनी मोहर लगाई। चुनाव आयोग ने अपने एक आदेश से अधिकारियों को जिन वोटर लिस्ट पर हरियाणा डेमोक्रेटिक फ्रंट व साथियों द्वारा आपत्तियां दर्ज करवाई गई थी, उस तरह की तमाम त्रुटियों को दुरुस्त करके एक समय सीमा के अंदर जनता के लिए दुबारा से पब्लिश करने बारे कहा। उसमें कहा गया है कि 1 जनवरी 2022 को राष्ट्रीय चुनाव आयोग ने जो नई वोटर लिस्ट जारी कि है उसके अनुसार ही अम्बाला सदर की वोटर लिस्ट को दुबारा से अपडेट करके जारी करे।
जैसे ही नगर परिषद अम्बाला सदर के चुनाव करवाने के लिए वोटर लिस्ट जारी की गई थी उसको जाँचने के लिए हरियाणा डेमोक्रेटिक फ्रंट ने अम्बाला के पूर्व पार्षदों की एक कमेटी का गठन किया जिसमें चित्रा सरवारा राष्ट्रीय महासचिव हरियाणा डेमोक्रेटिक फ्रंट, गगन डांग प्रदेश सचिव, सुरेश त्रेहन महासचिव अम्बाला, सुभाष चंद भाषी सचिव अम्बाला, विजय गुम्बर कोषाध्यक्ष अम्बाला और जसदीप सिंह जे.डी थे। जाँच करने पर पाया गया कि इसमें बहुत खामियां है I ऐसा पाया गया कि किसी को चुनावी फायदा और किसी को नुकसान पहुंचाने का एक षड्यंत्र किया गया जबकी लोकतंत्र में चुनाव निष्पक्ष होने चाहिए। इन धांधलियों को देखते हुए जब आपत्तियां दर्ज करवाई गई, तो षड्यंत्रकारियों द्वारा उन आपत्तियों को दरुस्त करने की बजाए, आपत्तिकर्ता को इधर उधर बेमतलब घुमाने का काम शुरू किया जिससे तंग आकर आपत्तिकर्ता उच्च अधिकारियों के पास पहुंचे अपनी इन तमाम आपत्तियों की दरख्वास्त दर्ज करवा कर पत्राचार किए,मिटिंगे की मगर नतीजा वहीं ढाक के तीन पात रहे, जबकि अधिकारियो ने एक दूसरे पर जिम्मेदारी थोपने में समय निकाल दिया गया जबकि इस तरह की तमाम मुश्किलों से चुनाव आयोग को भी पत्रों के माध्यम से अवगत करवाते रहे, चुनाव आयोग ने अपने अनेको पत्रों के माध्यम से प्रशासन को समय समय पर कार्यवाही करने के लिए निर्देश दिए। जिला स्तर के चुनावों से तालुक रखने वाले तमाम अधिकारियों के पास आपत्तिकर्ता दर-दर भटकते रहे। जबकि आपत्तिकर्ताओं की उठाई गई उन तमाम आपत्तियों में यह भी उठाया गया कि वोटर लिस्ट को बनाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण नियमों को नजरअंदाज किया गया। आखिर माननीय पंजाब व हरियाणा (हाइकोर्ट)उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़ा। जिसपर मामले की गम्भीरता को देखते हुए माननीय पंजाब व हरियाणा उच्च न्यायालय(हाइकोर्ट) ने संज्ञान लेते हुए अधिकारियों से जवाब तलब किया, जिसके लिए 24 मार्च 2022 की तारीख तय की गई कि आपत्तिकर्ताओं की तमाम त्रुटियों पर अपना पक्ष रखें।
कल चुनाव आयोग हरियाणा द्वारा दिए गए नोटिस पर आज हरियाणा डेमोक्रेटिक फ्रंट की चुनावों से जुड़ी कमेटी की चर्चा हुई जिसमें राष्ट्रीय महासचिव चित्रा सरवारा ने अनेको पहलुओं पर कहा कि किस तरह से लोकतंत्र में निष्पक्ष चुनाव हो कि जनता को देश के हालात को देखते हुए जो अपना मन बनाया हुआ होता है उसके बावजूद आजकल अनेको तरह के हथकंडे अपना कर परिणामों को प्रभावित करते हैं वो प्रभावित ना हो उन रास्तों को खोजा जाना चाहिए।
इस मौके पर प्रदेश सचिव गगन डांग ने कहा कि चुनाव आयोग द्वारा बनाए गए बीएलओ दिए गए समय पर नहीं बैठते और जब कुछ समय के लिए बैठते भी है तो आने वाले नागरिकों के फार्मो पर ऐसी आपत्तियां लगा दी जाती है कि या तो वो थक हार जाता है। अगर आता भी है तो समय की पाबंदी से वोट नहीं बनवा पता। उन्होंने साथ ही कहा कि सभी दलों के प्रतिनिधियों की एक समिति बनायी जाए कि इस तरह की आ रही समस्याओं का समाधान किया जा सके।
महासचिव अम्बाला सुरेश त्रेहन ने कहा कि वोट बनाने का काम डोर टू डोर किया जाना चाहिए क्योंकि देश में आज जो युवा है वो 67% है, वो अपनी पढ़ाई या नोकरी के कारण वोट बनवाने से वंचित रह जाता है। इस खामी के कारण कही ना कही निष्पक्ष चुनाव प्रभावित होता है।
कोषाध्यक्ष विजय गुम्बर ने कहा कि चुनावों में वोटिंग प्रतिशत जोकि लगभग 68% रहती है इसका सीधा मतलब है कि 32 प्रतिशत लोग चुनावों में हिस्सा ही नहीं ले रहे, इसमें बहुत से ऐसे नागरिक है जो इस दुनिया में ही नहीं रहे हैं या एक शहर से दूसरे शहर चले गए हैं, अगर इन वोटों को काट दिया जाए तो पोलिंग प्रतिशत अपने आप ऊपर आ जाए।
सुभाष चंद भाषी ने सुझाव दिया कि अगर चुनावों से जुड़े तमाम कार्यों की वीडियोग्राफी करवाई जाए तो अनेको तरह की आ रही समस्याओं का समाधान खुद ब खुद हो जाएगा। कोई भी अपनी शक्ति का गलत इस्तेमाल नहीं कर पाएगा।

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