बिना वजह रजिस्ट्री रोकने वाले तहसीलदार पर कड़ी कार्यवाही हो:-ओंकार सिंह सोमवार इनैलो कार्यकर्ता तहसीलदार से लिखित में कारण पुछेंगे। प्रॉपर्टी आईडी व रजिस्ट्री व्यवस्था से जनता परेशान।

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अम्बाला :- अम्बाला छावनी में प्रॉपर्टी आईडी ठीक करवाने व अपनी नियमित कॉलोनी की रजिस्ट्री करवाने के लिए जनता को आ रही परेशानियों पर विचार करने व समस्या का हल निकालने को लेकर इनैलो कार्यकर्ताओं की मीटिंग प्रदेश प्रवक्ता ओंकार सिंह के कार्यालय में सम्पन्न हुई। मीटिंग में ओंकार सिंह ने कहाकि आज अम्बाला छावनी की जनता को अपने अधिकारों से भी वंचित कर दिया गया है। अपनी जायदाद के वैध खसरा नम्बर की रजिस्ट्री करवाने व खसरा नम्बर की त्रुटि को ठीक करवाने के लिए जनता को तहसील, नगरपरिषद व डीटीपी कार्यालय के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं और इस सारी प्रक्रिया में जनता की फुटबाल बन रही है। सूबे के सबसे शक्तिशाली मंत्री हल्के के बाहर दूसरे स्थानों पर छापे मारकर वाहवाही लूटने का ड्रामा कर रहे हैं लेकिन अपने हल्के की तरफ नही देख रहे, चिराग तले अंधेरा की कहावत यहां फलीभूत हो रही है। अम्बाला छावनी की तहसील पर तंज कसते हुए उन्होंने कहाकि ये कैसी तहसील जिसमे न तहसीलदार न क्लर्क और न ही रजिस्ट्री हो रही है। छावनी की तहसील को गजब की तहसील करार देते हुए उन्होंने कहाकि यहां रूटीन के कार्य भी नही हो रहे, तहसीलदार/नायब तहसीलदार सुबह एक बार आ कर गायब हो जाते हैं, क्लर्क छुट्टी लेकर चल गया है सब राम भरोसे है। इस पर भी गनीमत यह है कि नायब तहसीलदार का ड्राइवर दस्तावेज को मार्क करता है। तहसीलदार और नायब तहसीलदार एक दूसरे का हफ्ता कहकर अपनी जिम्मेवारी से भागने की कोशिश करते है।रजिस्ट्री की बात तो यह है कि 2004, 2014 व 2018 में नियमित कॉलोनी की नगरपरिषद से एनडीसी लेने के पश्चात भी रजिस्ट्री नही की जा रही। डीटीपी से एनओसी लेने को बोला जा रहा है जबकि नियमित कॉलोनी पर धारा 7A लागू ही नही होती। इसके बारे तहसील कार्यालय में ही बहुत बड़ा बोर्ड लगा हुआ है लेकिन तहसीलदार व नायब तहसीलदार मानते ही नही। डीपीपी कार्यालय से एनओसी लेने जाओ तो वहां से कागजात व खसरा नम्बर सत्यपित कटने के लिए वापिस नगरपरिषद में भेज दिया जाता है। इस बारे जब डीटीपी अम्बाला से बात की गई तो उन्होंने बताया कि हमारे पास अम्बाला छावनी के नियमित खसरा नम्बर की सूची नही है जिसके बारे नगरपरिषद से सूची लिखित में मांग रखी है जो वो भेज नही रहे इसलिए सत्यापन के लिए नगरपरिषद भेज जाता है। कितनी हास्यपद बात है, ऑनलाइन के नाम पर प्रदेश के मुख्यमंत्री व गृहमन्त्री डंडोरा पीट रहे हैं और जिले की डीटीपी खसरा नम्बर की लिस्ट डायरेक्टर लोकल बॉडी से ऑनलाइन नही मंगवा सकती। बहुत अजीब बात है कि जिस खसरा नम्बर पर धारा 7A लागू ही नही होती उसकी रजिस्ट्री के लिए जनता दर दर भटक रही है। डीटीपी महोदय से आरटीआई के द्वारा सूचना मांगी गई है कि कृपया बताएं कि नियमित कॉलोनी पर धारा 7A लगती है या नही ताकि जनता को राहत मिल सके लेकिन व्यक्तिगत तौर पर मिलकर मामले की अतिआवश्यकता बता कर प्रार्थना करने पर भी अभी तक सूचना नही दी गयी। यदि डीटीपी महोदय जल्दी सूचना दे दें तो अम्बाला छावनी की जनता का भला हो सकता है। इस सम्बंध में मुख्य सचिव हरियाणा, एफसीआर रेवेन्यू, डायरेक्टर लोकल बॉडी, उपयुक्त अम्बाला, डीटीपी अम्बाला व तहसीलदार अम्बाला छावनी को आरटीआई लगाई गई है जिसका किसी भी विभाग से अभी तक जवाब नही आया। यह हालत सूबे के सबसे ताकतवर मंत्री के हल्के की है तो अन्य स्थानों का क्या हाल होगा यह विचारणीय है। डीटीपी को ऑनलाइन एनओसी अप्लाई करने पर 500 रुपये तक लग जाते हैं और प्रॉपर्टी आईडी में या खसरा नम्बर में त्रुटि ठीक करने के लिए ऑनलाइन करवाने पर 200 रुपये तक सीएससी सेंटर वाले ले लेते हैं। नगरपरिषद में त्रुटि ठीक करवाने के लिए ऑनलाइन ऑब्जेक्शन करने के पश्चात व डीटीपी द्वारा एनडीसी के सत्यापन का पत्र आने के पश्चात नगरपरिषद में लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। टैक्स ब्रांच, बिल्डिंग इंस्पेक्टर, एक्सइन, सचिव व कार्यकारी अधिकारी के हस्ताक्षर होने पर लेवल वन व लेवल टू क्लियर होता है। खसरा नम्बर अप्रूव्ड करवाने के लिए एक नया लेवल थ्री बना दिया गया है। कितनी अजीब बात है कि खसरा नियमित नम्बर की सूची प्रत्येक विभाग में है और जनता के साथ पूरा अन्याय हो रहा है। इस बारे फैसला लिया गया कि सोमवार को इनैलो कार्यकर्ता तहसीलदार अम्बाला छावनी के कार्यालय में जाकर या तो रजिस्ट्री करवाएंगे त फिर तहसीलदार से रजिस्ट्री रिफ्यूज करवाएंगे ताकि न्यायालय में जाकर इस व्यवस्था को चैलेंज करके जनता को राहत दिलाई जाए। इस अवसर पर प्राण नाथ वैद, सुभाष चंद, रमेश यादव, संतोष गुप्ता, पवन कुमार, सोनू शर्मा, राजिंदर कुमार भटनागर उपस्थित थे।

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