कमला वर्मा : पांच बार भाजपा ने टिकट दिया लेकिन एक बार कटा तो ……

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कमला वर्मा : पांच बार भाजपा ने टिकट दिया लेकिन एक बार कटा तो उनका बेटा इनेलो में चला गया

बेटे के इस कदम ने भाजपा समर्थकों को गलत संदेश दिया जिससे भाजपा प्रत्याशी की हुई थी हार

 

बेटे के इस कदम से दुखी कमला वर्मा जिसे प्यार से लोग बहनजी कहते थे कभी राजनीतिक गलियारों में सक्रिय रूप से नजर नहीं आई

 

मरते दम तक पार्टी के साथ जुड़ी रही कमला वर्मा का पार्थिव शरीर आज जब पार्टी के झंडे में लिपटा तो इस सम्मान से गर्व से सर ऊंचा हो गया होगा डॉक्टर वर्मा

पंचतत्व में विलीन हुयी हरियाणा की पूर्व कैबिनेट मंत्री व हरियाणा भाजपा
की प्रथम प्रदेशाध्यक्ष स्वर्गीय डॉ. कमला वर्मा

यमुना टाइम्स ब्यूरो
यमुनानगर, 9 जून (राकेश भारतीय ) जिस पार्टी को डॉक्टर कमला वर्मा ने अपने खून पसीने से सींचा आज जब उनके पार्थिव शरीर को पंचतत्व में विलीन किया गया तो उनके शरीर को पार्टी के झंडे में लपेटा गया यहाँ तक कि उन्हें समर्पित फुल मालाओ में की सजावट में भी पार्टी के झंडे का टच दिया गया था लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि पांच पांच बार भाजपा ने कमला वर्मा को टिकट दिया था जिसमे वह तीन बार जीती लेकिन एक बार टिकट कटा तो उनके बेटे राजन ने इनेलो का दामन थाम लिया था। बेटे के इस कदम से भाजपा समर्थकों और कार्यकर्ताओ को गलत संदेश गया जिससे भाजपा प्रत्याशी घनश्याम अरोड़ा की हार हुई थी ।
कदावर भाजपा नेत्री डॉक्टर कमला वर्मा बेटे के इस कदम से इस कदर दुखी हुई कि वह फिर कभी राजनीतिक गलियारों में सक्रिय रूप से नजर नहीं आई
,हालंकि उनके बेटे राजन भी फिर किसी दल के साथ नजर नही आये और न ही राजनितिक रूप से सक्रिय रहे अलबत्ता अपने बिजनेस के साथ साथ वह समाजिक और धर्मिक संगठनो से जुड़े रहे और आर्य समाज के साथ भी जुड़े रहे । अपनी माता जी को टिकट न मिलने के मलाल से उपजा अंसतोष थ या भावुकता में इनेलो प्रत्याशी की मदद लेकिन इसके बाद राजन कभी राजनितिक क्षेत्र में नजर नही आये और आज शायद बीमारी के समय भाजपा कार्यकर्ताओ की सेवा और समर्पण की बात हो या अंतिम यात्रा में भाजपा के झंडे में लिपटा कमला वर्मा जी का पर्तिव शरीर इसे देख क्र ,इस प्यार को देख कर भी राजन की आँखों के आंसू थम नही रहे थे । बता दे कि देश में इमरजेंसी के बाद 1977 में कमला वर्मा यमुनानगर की विधायक बनी और कैबिनेट में मंत्री बनी। 1982 में राजेश कुमार शर्मा विधायक बने और कमला वर्मा यह चुनाव हार गयी । 1987 में फिर कमला वर्मा विधायक बनी। 1991 में फिर कमला वर्मा और राजेश कुमार शर्मा का मुकाबला हुआ और राजेश चुनाव जीत गये , 1996 में कमला वर्मा फिर बजी जीत कर कैबिनेट में मंत्री बनी।
यही कारण था की हरियाणा की पूर्व कैबिनेट मंत्री व हरियाणा भाजपा की प्रथम प्रदेशाध्यक्ष स्वर्गीय डॉ. कमला वर्मा का यमुना
जी शमशान घाट स्वर्ग आश्रम में पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कारकिया गया। पुलिस की टु़कड़ी ने मातमी धुन बजा कर व हवा में गोलियां
चलाकर उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया। उल्लेखनीय है कि स्वर्गीय डॉ. कमला वर्मा पिछले एक माह से कोविड-19 व ब्लैक फंगस बिमारी से ग्रसित थी और गत दिवस 8 जून 2021 को स्थानीय अस्पताल में उन्हें दिल का दौरा पडऩे से उनका
93 वर्ष की आयु में निधन हो गया था।
स्वर्गीय डॉ. कमला वर्मा की अंतिम संस्कार यात्रा में अनेकों गणमान्य व्यक्ति व शहरवासी शामिल हुए और उन्हें भावभीनि श्रद्वांजलि दी व पुष्प
अर्पित किए। उनके अंतिम संस्कार में हरियाणा भाजपा अध्यक्ष ओम प्रकाश धनखड, हरियाणा के शिक्षा एवं वन मंत्री कवंरपाल, कुरूक्षेत्र के सांसद
नायब सिंह सैनी, करनाल के सांसद संजय भाटिया, पूर्व मंत्री कर्ण देव कम्बोज, यमुनानगर के विधायक घनश्याम दास अरोड़ा, सढौरा के पूर्व विधायक
बलवंत सिंह, हरियाणा व्यापारी कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष राम निवास गर्ग,हरियाणा समाज कल्याण बोर्ड की अध्यक्षा रोजी मलिक आनंद, मेयर
मदन चौहान, वरिष्ठ उपमेयर प्रवीण शर्मा, भाजपा जिलाध्यक्ष राजेश सपरा, गिरीश पूरी, डॉ. कृष्ण सहित असंख्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे
जिन्होंने दिवंगत आत्मा को भावभीनि श्रद्वांजलि दी व पुष्प अर्पित किए।
भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष ओम प्रकाश धनखड़ ने कहा कि स्वर्गीय कमला वर्मा ने जनसंघ व भाजपा के संगठन के लिए उस दौर में दिन-रात मेहनत की है, जब संगठन इतना सक्रीय नही था। हरियाणा के शिक्षा मंत्री कंवर पाल, कुरूक्षेत्र के सांसद नायब सिंह सैनी ने डॉ. कमला वर्मा के निधन पर बातचीत में बताया कि भाजपा की पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व तीन बार कैबिनेट मंत्री रही डॉ. कमला वर्मा के निधन से उन्हें व प्रदेश वासियों को गहरा शोक है। वह प्रदेश की पहली महिला थी जो आपातकाल के दौरान लोकतंत्र की रक्षक बनी।
स्वर्गीय डॉ. कमला वर्मा आपातकाल के दौरान जून 1975 से जनवरी 1977 तकअम्बाला जेल में रही। वर्ष 1977, वर्ष 1987 व वर्ष 1995 में विधान सभा
चुनाव में जीत कर वे हरियाणा में कैबिनेट मंत्री बनी। वे एक कुशल राजनीतिज्ञ थी और समाज सेवा के लिए हमेशा तत्पर रहती थी। शहर की अनेकों
सामाजिक एवं धार्मिक संस्थाओं ने उनके निधन पर गहर शोक व्यक्त किया है।स्वर्गीय डॉ. कमला वर्मा के पति डॉ. सत्यदेव वर्मा का पहले ही निधन हो
गया था और उनके दो पुत्र राजीव वर्मा व राजन वर्मा है। वे अपने पीछे भरा-पूरा परिवार छोड़कर गई हैं। डॉ. कमला वर्मा युवावस्था में ही घरेलु जिम्मेवारियों के साथ-साथ राजनीति में सक्रिय भाग लेती रही। इसके अलावा वह विभिन्न सामाजिक और धार्मिक संगठनो से भी जुड़ी रही। उन्होंने जनसंघ और भारतीय जनता पार्टी में विभिन्न पदो पर रहते हुए अपनी जिम्मेवारी निभाती रही और उनकी पहचान हरियाणा के वरिष्ठ नेताओं में होती रही है। उन्होंने विधायक और मंत्री रहते हुए अपने विधानसभा क्षेत्र और प्रदेश के
विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

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