केंद्र से अगले आंदोलन के लिए तैयार रहें किसान:टिकैत

इस खबर को सुनें

यदि केंद्र ने दूध को लेकर ऑस्ट्रेलिया के साथ किया समझौता तो किसान हो
जायेंगे तबाह :टिकैत

  1. समझौते होने नहीं देंगे और बिजली का नया कानून बनने नहीं देंगे,यदि हुआ
    तो फिर से होगा आंदोलन

यमुना टाइम्स ब्यूरो
यमुनानगर (राकेश भारतीय ) केंद्र सरकार पूंजीपतियों की सरकार है और यह
ऑस्ट्रेलिया के साथ दूध खरीदने को लेकर अगले महीने समझौता करने जा रही है
जिससे दूध 20-22 रुपए किलो दाम पर बिकेगा ,इसके अलावा सरकार बजली के नए
कानून बनाने जा रही हिजो सीधे किसानो को प्रभावित करेंगे । यह आरोप लगाते
हुए भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि जब तक किसान
संबंधी किसी भी मुद्दे को लेकर सरकार नीति बनाने से पहले किसान से बात
नहीं करेगी तो सरकार को कोई भी कानून नहीं बनाने दिया जाएगा और सरकार के
विरुद्ध संघर्ष का बिगुल बजा दिया जायेगा ।

यमुना टाइम्स के संपादक राकेश भारतीय से बातचीत करते किसान नेता राकेश टिकैत

भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत शुक्रवार को
दोपहर बाद जगाधरी की अनाज मंडी में किसान धन्यवाद व विजय दिवस महापंचायत
में पहुंचे। इस मौके पर उनके साथ राष्ट्रीय नेता युद्धवीर सिंह व
प्रदेशाध्यक्ष रतनमान भी शामिल रहे। भाकियू जिला इकाई द्वारा जिला
अध्यक्ष सुभाष गुर्जर के नेतृत्व में राकेश टिकैत को पगडी पहनाई व गदा
देकर, युद्धवीर सिंह व रतनमान को भी गदा देकर व शाल भेंट कर सम्मानित
किया । इस मौके पर राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने किसानों को
संबोधित करते हुए कहा कि दिल्ली के किसान आंदोलन की मीटिंग का पूरे देश


में संदेश गया है। जो लोग जीत कर घर वापस गए हैं उनका हम धन्यवाद करने
उनके घर पर जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली के आसपास के 2 सौ
किलोमीटर में चारों तरफ से यह आंदोलन फैला हुआ था। इस आन्दोलन के 13
महीने की लडाई से सरकार को अपने तीनों कृषि कानूनों को रद्द करना पड़ा।

 

उन्होंने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि देश के अंदर के हालात ठीक नहीं है।
कई प्रदेशों में दौरा करके देखा कि दूर दराज के इलाकों के किसान व
आदिवासी लोगों का अब तक विकास नहीं हुआ। उन्होंने उड़ीसा के बुजुर्ग
किसानों का हवाला देकर कहा कि उन लोगों ने अपने जीवन में भुवनेश्वर शहर
तक नहीं देखा। उन लोगों को एमएसपी का पता नहीं है। उनका धान भी 8 सौ
रुपये किवटल खरीदा जाता है । उन्होंने कहा कि यह अभी शुरूआत है लेकिन
उनकी लड़ाई अभी बाकी है। उन्होंने दिल्ली आंदोलन को लेकर कहा कि यह एक
ट्रेनिंग कैंप हुआ है। अदानी और अंबानी को लेकर उन्होंने कहा कि केंद्र
में बैठी सरकार पूजी पतियों के बारे में ही पालिसी बनाती है। विकास से
इनका कोई मतलब नहीं होता। यह सिर्फ वोट के लिए अपनी योजनाएं बनाते हैं।
इनका विकास से कोई लेना देना नही है । इनका काम तो सिर्फ हिंदू मुस्लिम
को लडाना है। यह सरकार कभी भी गरीब, मजदूर, बेरोजगार, महंगाई , स्वास्थ्य
व शिक्षा जैसे मुद्दों पर बात नही करती । यह लोगों को गुमराह करते हैं।
उन्होंने किसानों से अपील की कि वे अपनी जमीनों को ज्यादा से ज्यादा अपने
पास रखें और बैंकों से कर्जा ना लें। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार एसबीआई
बैंक को अडानी को देना चाहती है। ताकि इनके माध्यम से किसानों को लोन दे
दे और कर्ज ना देने के बाद में उसकी जमीन छुड़ाना चाहती है । यह सरकार की
पूंजीपतियों को हर सरकारी चीज बेचने की रणनीति है। उन्होंने कहा कि
ऑस्ट्रेलिया के साथ दूध खरीदने को लेकर अगले महीने समझौता करने जा रही
है। और वह दूध 20-22 किलो दाम पर बेचने की योजना है। उन्होंने सरकार को
चेतावनी देते हुए कहा कि जब तक किसान संबंधी किसी भी मुद्दे को लेकर
सरकार नीति बनाने से पहले किसान से बात नहीं करेगी तो सरकार को कोई भी
कानून नहीं बनाने दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार की तानाशाही नहीं
चलने दी जाएगी। बैंकिंग को निजी सेक्टर में लाकर देश के किसानों को
ज्यादा से ज्यादा कर्ज में लाना है। उन्होंने कहा कि दिल्ली और चंडीगढ़
में जो नीतियां बनाई जाती है वह जनहित के लिए नहीं होती। उन्होंने कहा कि
मजदूर और किसान की लड़ाई बाकी है। देश के लोग कहते थे कि यह मोदी है तो
मुमकिन है। मोदी आंदोलन को खत्म कर देगा। लेकिन किसानों की एकता ने यह
बता दिया कि अगर एकता हो बडे से बडे तानाशाह को भी झुकना पड़ता है और
माफी भी मांगनी पड़ती है । इस मौके पर युद्धवीर सिंह, रतनमान ने भी
किसानों को समबोंधित किया। जिला अध्यक्ष सुभाष गुर्जर ने सभी का धन्यवाद
किया।
फोटो  यमुनानगर में राकेश टिकैत को गदा और तलवार भेंट करते किसान संगठन और उपस्तिथ जनता

स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे