गलत इंजेक्शन लगने से हुई थी मौत, कमेटी का आया फैसला
यमुना टाइम्स ब्यूरो
यमुनानगर ( राकेश आरतीय ) चौधरी कॉलोनी निवासी ढाई साल के बच्चे चरणजीत सिंह की ढाई साल पहले हुई मौत गलत इंजेक्शन लगाने से ही हुई थी। यह खुलासा तीन डॉक्टरों की कमेटी की जांच के बाद हुआ।
जांच कमेटी की रिपोर्ट आने के पश्चात वह आरोप सही साबित हुए हैं जिसमें मृतक बच्चे के परिजन केमिस्ट पर गलत इंजेक्शन लगाने का आरोप लगा रहे थे।दरअसल, 18 दिसंबर 2021 को चौधरी कॉलोनी निवासी मनीष कुमार के ढाई साल के बच्चे चरणजीत की मौत हो गई थी। तब परिजनों ने बच्चे के शव को दफना दिया था। इसके बाद परिजनों ने मेडिकल स्टोर संचालक पर गलत इंजेक्शन लगाने का आरोप लगाया था।
जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग के महानिदेशक ने सिविल सर्जन को जांच के आदेश दिए थे। मामले की जांच के लिए तीन डॉक्टरों की कमेटी बनाई गई थी। जांच कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार मेडिकल स्टोर संचालक के पास वो शैक्षणिक योग्यता नहीं थी, जिसके आधार पर वह बच्चे को दवाई या इंजेक्शन लगा सके। अपनी शैक्षणिक योग्यता के बाहर जाकर और बिना रजिस्टर्ड (आरएमपी) हुए बच्चे को किसी भी प्रकार की दवाई देना गलत था। उक्त तथ्यों से यह स्पष्ट नहीं होता कि बच्चे की मौत का कारण इंजेक्शन लगाना रहा या नहीं। लेकिन यह स्पष्ट है कि कैमिस्ट को अपने अधिकार क्षेत्र का पता होना चाहिए तथा बच्चे को इंजेक्शन नहीं लगाना चाहिए था।
जांच कमेटी ने संबंधित मेडिकल स्टोर संचालक विनोद यादव के खिलाफ नियमानुसार उचित कानूनी कार्यवाही करने की सिफारिश जिला औषधि नियंत्रक अधिकारी को की थी। जिसके बाद जिला औषधि नियंत्रक अधिकारी द्वारा कैमिस्ट विनोद यादव का खुदरा बिक्री दवा लाइसेंस रद्द कर दिया। जांच कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद अब शहर पुलिस ने आरोपी मेडिकल स्टोर संचालक विनोद यादव के खिलाफ आईपीसी की धारा 304 के तहत गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज कर लिया है।
ये था मामला –
आजाद नगर की गली नंबर सी-जीरो निवासी मनीष कुमार ने बताया था कि उसके पास तीन बेटियां हैं। करीब ढाई साल पहले बेटा चरणजीत हुआ था। 18 दिसंबर 2021 में उसके बेटे की तबीयत खराब हो गई थी और उसे पास में ही स्थित मेडिकल स्टोर संचालक पर दवा दिलाने गए। दवा देने के बाद भी आराम नहीं हुआ। इस पर शनिवार को उसकी सास दोबारा मेडिकल स्टोर संचालक पर लेकर गई। तब स्टोर संचालक ने बच्चे को इंजेक्शन लगाया। उसके कुछ देर बाद ही बच्चे ने रोना बंद कर गया और बेसुध हो गया। उन्होंने सोचा कि नींद का इंजेक्शन दिया होगा और वह सो रहा होगा। लेकिन करीब 8-10 मिनट में उसकी सांसें थम गई। तब शाम होने की वजह से उन्होंने जल्दबाजी में बच्चे को दफना दिया था। तब किसी को इसकी सूचना नहीं दी। अगले दिन वे मेडिकल स्टोर पर पहुंचे और स्टोर संचालक से पूछा कि कौन सा इंजेक्शन लगाया। तब वह कहने लगा कि उसे तो उसने फेंक दिया था। बाद में एक अन्य इंजेक्शन दिखाने लगा। आरोप है कि स्टोर संचालक ने गलत इंजेक्शन लगाया, जिससे बच्चे की मौत हुई। तब परिजनों ने आरोपी मेडिकल स्टोर संचालक पर कार्रवाई के लिए हंगामा भी किया था और रामपुरा चौकी में शिकायत की थी। वहीं, मामले की जांच के लिए तीन डॉक्टरों की कमेटी गठित की गई थी।