जब मुख्यमंत्री रहते अखबार के दफ्तर की बिजली काट दी थी

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मुख्यमंत्री का चहेता होने के बावजूद स्वयंभू संत ज्ञानानंद का लिस्ट में क्यो नहीं नाम

गुस्ताखी माफ़ हरियाणा।

पद्मा अवार्ड, बंसीलाल और अंग्रेजी अख़बार ट्रिब्यून।
आज के अखबारों में पद्मा अवार्डियों की सूचि में कई आम आदमियों के नाम देखे तो अच्छा लगा। एक पुराना किस्सा याद आया जो पूर्व सी एम बंसीलाल ने इस लेखक को खुद सुनाया था। बंसीलाल का नार्थ इंडिया के प्रतिष्ठित अंग्रेजी अख़बार ट्रिब्यून से छतीस का आंकड़ा जगजाहिर है। बंसीलाल के डर से अफसर ट्रिब्यून अखबार छुप कर पढ़ते थे। जनसत्ता में अपनी रोहतक नियुक्ति के दौरान इस लेखक ने बंसीलाल से उनकी ट्रिब्यून से नाराजगी बारे पूछा तो उन्होंने ठेठ हरियाणवी अंदाज में जवाब दिया “भाई में अखबार से पन्गा क्यों लेता ? असल में ट्रिब्यून अखाबर के सम्पादक पद्मश्री अवार्ड चाहते थे। मैंने उनके नाम की सिफारिश बहन जी यानी इंदिरा गांधी से की लेकिन तब तक चयन प्रक्रिया पूरी हो चुकी थी। वह उन्हें नहीं दिलवा सका और वो नाराज हो गए।

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मेने तो लाला यानि सेठ श्रीकृष्ण को दिलवा दिया था।
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अपनी बात स्पष्ट करते हुए बंसीलाल ने बताया की भाई मेने तो अपनी पार्टी के वर्कर रोहतक के पूर्व मंत्री सेठ श्रीकृष्ण को भी पद्मश्री दिलवा दिया था। मुझे ट्रिब्यून के संपादक को दिलवाने में क्या दिक्कत थी?
बंसीलाल ने ट्रिब्यून को डाउन करने के लिए चंडीगढ़ से एक हिंदी अखबार शुरू करवाया।
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बंसीलाल ने राजस्थान के एक हिंदी अखबार का चंडीगढ़ से प्रकाशन शुरू करवाया। उसे विज्ञापन की मदद दी। एक दिन चंडीगढ़ में मुख्यमंत्री दफ्तर में बैठे उस अख़बार की मालकिन ने बंसीलाल को कह दिया की मैडम यानि प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी पूछ रही थी की बंसीलाल कैसा काम कर रहे है। बस इतना सुन हरियाणवी जाट को तरारा आ गया। बोले तू मेरी ए सी आर लिखेगी। और चंडीगढ़ के डिप्टी कमिशनर जो हरियाणा काडर का आई ए एस अफसर था कहकर अख़बार के दफ्तर की बिजली कटवा दी.
गीता मनीषी स्वयंभू संत स्वामी ज्ञानानंद का नाम नहीं देख अचंभा हुआ।
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आज की सूचि में स्वामी गायनानन्द का नाम चिराग लेकर ढूंढ़ने पर भी नहीं मिला तो अच्चम्भा हुआ। सुना है अपने मनोहर जी उन्हें पद्मश्री दिलवाना चाहते थे। पता नहीं बात कहा अटक गयी। वैसे मनोहर लाल ने उन्हें गीता के प्रचार के लिए अघोषित ब्रांड एम्बेसडर तो बना ही रखा है। उनके कुरुक्षेत्र आश्रम पर मनोहर जी खास मेहरबान है।

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